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भेंट: 'साउथ आफ्रिका' को

शिष्टमण्डलको आसपासकी किसी तारीखको भेंट करने और अपनी स्थिति आपके सामने रखनेका मौका दें तो मैं आभारी होऊँगा।

आपका विश्वस्त,

श्री एफ० मैकारनिस, संसद सदस्य
[१]

६, किंग्ज बेंच वॉक

इनर टेम्पल

नकल : सेवामें, सर लेपेल ग्रिफिन, के० सी० एस० आई०,[२] स्लोन स्क्वेयर, लन्दन[३] बिना हस्ताक्षरके टाइप किये हुए अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल (एस० एन० ४३८६) से।

 

५. भेंट : 'साउथ आफ्रिका' को[४]

[होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर २५, १९०६]

[संवाददाता:] श्री गांधी, जो प्रश्न आपको हजारों मील खींच लाया है, क्या आप उसके बारेमें अपने विचार बतलानेको कृपा करेंगे?

[श्री गांधी:] बड़ी खुशीसे। बेहतर होगा, मैं शुरूसे कहूँ।

आपकी मेहरबानी।

अच्छी बात है। पिछले महीने जोहानिसबर्गके पुराने एम्पायर नाटकघरमें आयोजित भारतीयोंकी एक विशाल सार्वजनिक सभामें एक शिष्टमण्डल भेजनेका प्रस्ताव पास किया गया था। अब उसके अनुसार हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके अध्यक्ष श्री हा० व० अली और मैं ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा नियुक्त शिष्टमण्डलके रूप में आये हैं।

और आपका उद्देश्य?

हमारा उद्देश्य यहाँके अधिकारियोंके सामने तथ्योंका वह रूप पेश करना है जिसे हम सच्चा मानते हैं ताकि ट्रान्सवालके एशियाई कानून संशोधन अध्यादेशको स्वीकृति न मिले।

तब क्या आप समझते हैं कि उपनिवेश-मन्त्री और भारत-मन्त्रीको अबतक जो जानकारी मिली है वह अपर्याप्त है ?

ऐसा ही है। मैं देखता हूँ कि आपको और लन्दन 'टाइम्स' को अध्यादेश तथा तत्सम्बन्धी हमारी आपत्तियोंके बारेमें गलत जानकारी दी गई है।

  1. फ्रेडरिक कोलरिज मैकारनिस, (१८५४-१९२०); केप सुप्रीम कोर्टके वकील, १८८२; ब्रिटेनकी संसद के उदारदलीय सदस्य, १९०६-१०।
  2. सर लेपेल ग्रिफिन (१८३८-१९०९); आंग्ल भारतीय प्रशासक, पूर्व भारत संघकी परिषद के अध्यक्ष और भारत विषयक पुस्तकोंके लेखक। वे दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके पक्षके समर्थक थे ।
  3. यह गांधीजीके स्वाक्षरोंमें है ।
  4. यह भेंट २७-१०-१९०६ के साउथ आफ्रिका प्रकाशित हुई थी जिसे इंडियन ओपिनियन में उद्धृत किया गया था।