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दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति

देना। किन्तु छापे , इसलिए उनका सदुपयोग कैसे हो सकता है, सो देखना। संघवी, उमर सेठ आदि सज्जन पोस्टर भी रखें और प्रतियाँ भी, तो यह प्रयत्न करने योग्य है। ऐडम्ससे भी पूछकर देखो। मैरित्सबर्ग में भी कोई फिक्के साथ रखे, तो हो सकता है। किन्तु इसके लिए समयकी जरूरत है।

यह बिलकुल जरूरी है कि कोई भी निश्चित रकमसे अधिक न उठाये। ज्यादा अच्छा यह है कि हरएकका आंकड़ा मुझे हर महीने भेज दिया जाये, ताकि जिसने अधिक उठाया हो उसे मैं लिख सकूँ, अथवा तुम आनन्द- लालके साथ बात करना।

तलपट जल्दी तैयार करने की बहुत ही जरूरत है। यदि अप्रैल में कल्याण-दासका जाना सम्भव है तो मगनलालको मुख्य रूपसे उसीमें लगाकर तलपट पूरा करा लिया जाये।

साम सरदारका लड़का रहना चाहता है। उसके बारेमें मैंने कल वेस्टको लिखा है, सो देखकर लिखना।

मोहनदासके आशीर्वाद

[पुनश्च]

तुमने जोहानिसबर्गकी छपी हुई सूची भेजी है। उसमें श्री अलीका नाम कटा हुआ है। यह किस लिए? जांच कर लिखना।

यदि जोज़ेफ रायप्पन, ३६ स्टैप्लटन हॉल रोड, स्ट्रैंड ग्रीन, उत्तरी लन्दन के पतेपर अखबार न जाता हो, तो भेजना।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रतिकी फोटो नकल (एस॰ एन॰ ४६९७) से।

 

३४४. दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति

दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समितिके सम्बन्धमें हम एक लेख दूसरी जगह छाप रहे हैं। उस लेखसे मालूम होता है कि समिति बहुत काम कर रही है और यदि दक्षिण अफ्रिकाकी ओरसे मदद मिले तो वह और अच्छा काम कर सकती है।

मुख्य आवश्यकता यह है कि हम यहाँसे उसकी शक्ति बढ़ायें, यानी खूब हल्ला मचायें। भारतके पितामहने भी यही सलाह दी है। हमें दर्द महसूस होता है, इतना ही काफी नहीं है, दर्द के हिसाबसे चिल्लाना भी चाहिए। माँगे बिना माँ भी खाना नहीं देती, इस कहावतके अनुसार हमें समझना चाहिए कि हम यहाँ जबतक शोर नहीं मचायेंगे तबतक कुछ नहीं होगा; न हमें समितिकी पूरी सहायता मिल सकती है।

समितिकी स्थापनाके बाद यदि अब हम उसे नहीं चलाते, तो हमारी हालत अबसे भी ज्यादा बिगड़ सकती है, क्योंकि जो हमारी मदद करते हैं सो यह समझकर ही कि हम मदद के योग्य हैं। समितिको चलानेके लिए हमें उसके खर्चको पूरी व्यवस्था करनी चाहिए। समितिने हमें ३०० पौंडके लिए लिखा है और जबतक हम उतनी रकम नहीं भेज देते तबतक इस वर्षका गड्ढा नहीं भर सकता। जिन प्रश्नोंका निबटारा किया जानेवाला है जबतक उनका निर्णय नहीं हो जाता तबतक हमें उसको चलाना होगा।