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४०१. तार : द॰ आ॰ ब्रि॰ भा॰ समितिको[१]

जोहानिसबर्ग
मार्च २३, १९०७

[सेवामें]
दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति
लन्दन

एशियाई विधेयक ट्रान्सवाल संसदकी दो बैठकों में पास। ब्रिटिश भारतीय उससे आतंकित। उन्नीसको गज़टमें प्रकाशित। समाजको संसदके सामने सुनवाईका कोई अवसर नहीं। लगातार गैरकानूनी भरमारके आरोपसे पूर्ण इनकार और वह अबतक अप्रमाणित। असली सवाल साम्राज्यके अन्दर भारतीयोंके दर्जें का। यही मत अखबारोंका भी है। भरोसा है समिति भारतीयोंको आसन्न अपमानसे बचायेगी।

[बिआस]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स (सी॰ ओ॰ २९१/१२२)
 

४०२. पत्र : सर विलियम वेडरबर्नको

[जोहानिसबर्ग]
मार्च २५, १९०७

प्रिय सर विलियम,

डॉक्टर ओल्डफील्डके लेखोंके बारेमें आपके पत्रके लिए मैं आपका कृतज्ञ हूँ। यह पत्र आपसे निवेदन करनेके लिए लिख रहा हूँ कि आप उस अध्यादेशके बारेमें, जो नई संसदके सामने फिर पेश किया गया है, बहुत सक्रिय दिलचस्पी लें। मेरा खयाल है कि 'इंडिया' में इस मामले पर वैसा विचार नहीं किया गया जैसा कि होना चाहिए। इसका परिणाम यह होगा कि भारतके प्रचारक और पत्रकार इसका पूरा लेखा-जोखा नहीं लेंगे। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के श्री फ्रेज़रका एक पत्र मुझे मिला था। उन्होंने लिखा था कि यदि इस काम के लिए एक विशेष समिति नियुक्त करनेका विचार किया जाये तो वे उसको सहर्ष सहयोग प्रदान करेंगे। यदि आप कृपापूर्वक भारतके नेताओंको सुझाव दे सकें कि ऐसी समिति बनाना वाञ्छनीय है तो, मेरा खयाल है, यह सुझाव स्वीकार कर लिया जायेगा।

  1. श्री एल॰ डब्ल्यू॰ रिचने इसे अपने २५ मार्चके पत्रके साथ लन्दनमें उप-उपनिवेश मन्त्रीके पास भेज दिया था। "तार : लॉर्ड एलगिनको", पृष्ठ ४०६ भी देखिए।