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पत्र : दादाभाई नौरोजीको


दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समितिके मन्त्रीको मैंने सुझाव देते हुए लिखा[१] है कि जनरल बोथासे एक शिष्टमण्डल मिले और इस प्रश्नपर विचार-विमर्श करे।

आपका विश्वस्त,
मो॰ क॰ गांधी

सर विलियम वेडरबर्न, बैरोनेट
[इंग्लैंड]

टाइप किये हुए मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो नकल (जी॰ एन॰ २७७९-२) से।
 

४०३. पत्र : दादाभाई नौरोजीको

जोहानिसबर्ग
मार्च २५, १९०७

प्रिय श्री नौरोजी,

मैं सर विलियमके नाम अपने पत्रकी[२] प्रतिलिपि आपके देखनेके लिए साथ भेज रहा हूँ। मेरा निश्चित विचार है कि 'इंडिया' को प्रति सप्ताह प्रमुख रूपसे इस मामलेपर विचार करना चाहिए। ट्रान्सवालमें जो कुछ भी किया जाता है उसका सभी उपनिवेशों में अनुकरण किया जायेगा। और यदि इस अध्यादेशके मूलमें निहित प्रजातीय विधानका पतनकारी सिद्धान्त एक बार मान लिया गया तो भारतीय आव्रजनका अन्त हो जायेगा।

आपका विश्वस्त,
मो॰ क॰ गांधी

[संलग्न]
श्री दादाभाई नौरोजी
२२, केनिंगटन रोड
लन्दन, एस॰ ई॓॰

टाइप किये हुए मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो नकल (जी॰ एन॰ २७७९/१) से।
 

४०४. पत्र : छगनलाल गांधीको

[जोहानिसबर्ग]
मार्च २५, १९०७

प्रिय छगनलाल,

तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि प्रति सप्ताह हमारे पास 'इंडियन ओपिनियन' की प्रतियोंकी कभी पड़ जाती है। आज अगर तुमने १०० प्रतियाँ भेजी होतीं तो वे सब खुप जातीं। इसलिए कदाचित् यह अच्छा होगा कि आगामी सप्ताहसे यहाँ २०० प्रतियाँ भेजो;

  1. यह पत्र उपलब्ध नहीं है।
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