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४१८. ट्रान्सवालके भारतीयोंकी विराट सभा
सम्पूर्ण विवरण

एशियाई कानूनके सम्बन्धमें प्रस्ताव स्वीकार करनेके लिए २९ मार्चको जोहानिसबर्ग में गेटी थियेटरमें भारतीयोंकी एक विराट सभा हुई थी। उसमें बाहरी स्थानोंके प्रतिनिधि भी आये थे। गेटी थियेटर ठसाठस भर जानेसे बहुत-से लोगोंको लौट जाना पड़ा था। ब्रिटिश भारतीय संघ के प्रमुख श्री अब्दुल गनीने सभापतिका स्थान सुशोभित किया था। मंचपर प्रिटोरियाकी ओरसे श्री हाजी हबीब, श्री व्यास आदि; पीटर्सबर्ग की ओरसे श्री अब्दुल रहमान मोती, श्री 'जुसब हाजी वली,' श्री मोहनलाल खंडेरिया; स्पेलॉनकिनके श्री केशवजी गीगा; हीडेलबर्गके श्री ए॰ एम॰ भायात और श्री सोमा भाई; क्रूगर्सडॉर्पके श्री इस्माइल काजी, श्री वाजा, श्री खुरशेदजी, और जीरस्टके श्री खान। उनके अतिरिक्त श्री एम॰ एस॰ कुवाड़िया, श्री हाजी वजीरअली, श्री एम॰ पी॰ फैन्सी, श्री ईसप मियाँ, श्री गुलाम साहब, श्री अमीरुद्दीन, श्री नादिरशाह कामा, श्री बोमनशाह, इमाम अब्दुल कादिर, श्री उस्मान लतीफ, श्री इब्राहीम अस्वात, श्री ई॰ एम॰ पटेल, श्री मूनसामी मूनलाइट, श्री वी॰ नायडू, श्री ए॰ ए॰ पिल्ले और श्री बापू देसाई (रस्टनबर्गके); श्री मणिभाई खंडूभाई, श्री नानालाल शाह, श्री गबरू, श्री उमरजी साले, श्री आमद मुहम्मद, श्री अलीभाई आकुजी, श्री एस॰ डी॰ बोबात (पाँचेफस्ट्रम), श्री वी॰ अप्पासामी, पण्डित रामसुन्दर, श्री लालबहादुर सिंह, श्री दादलानी, श्री गांधी आदि उपस्थित थे। अनेक स्थानोंसे पत्र और तार भी आये थे। 'स्टार' तथा 'रैंड डेली मेल' के संवाददाता उपस्थित थे। सभाका काम ४ बजे शुरू हुआ। श्री अब्दुल गनीके भाषणका अनुवाद हम नीचे दे रहे हैं :

स्वागत

हमारे समाजके महत्त्वपूर्ण कार्यपर विचार करनेके लिए आये हुए प्रतिनिधियों और जोहानिसबर्गके भारतीयोंका स्वागत करनेका काम दुबारा मेरे सिर आया है। जिस कानूनको लॉर्ड एलगिनने लगभग रद कर दिया था उसे यहाँकी नई संसदने फिरसे पास किया है। जब हमने विलायतसे विजय प्राप्त करके लौटे हुए अपने प्रतिनिधियोंका स्वागत किया तभी हम सौभाग्यसे भ्रम में नहीं थे। हम तभी जानते थे कि यह तो हमारे कामका प्रारम्भ है। फिर भी हममें किसीको यह शंका नहीं हुई थी कि यह कानून २४ घंटे के अन्दर फिरसे पास हो जायेगा, और ऐसा करनेके लिए चालू धाराओं को स्थगित कर दिया जायेगा।[१] चालू धाराओंको स्थगित करना अनहोनी बात नहीं है। परन्तु अत्यन्त संकटके समय ही इन धाराओंको स्थगित किया जाता है।

विधेयक क्यों पास हुआ?

यदि देशपर आफत आई होती तो हम समझ सकते थे कि सुरक्षाके लिए शीघ्रतासे कोई कानून पास किया जाना चाहिए। किन्तु इस समय तो निरे सिंह और बकरेकी लड़ाई जैसा प्रसंग था।

  1. देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ ४०३-०६।