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ट्रान्सवालके भारतीयों की विराट सभा

आपकी ओरसे मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम सहायता देने को तैयार हैं, और इससे नया विधेयक पास किये बिना ही उपर्युक्त दोनों उद्देश्योंकी पूर्ति हो सकती है।

निवेदन

लॉर्ड मिलनरके समय में ऐसा किया गया था और लॉर्ड मिलनर तथा कैप्टन फाउलको भारतीय समाजसे सन्तोष हुआ था। मेरा निवेदन निम्न प्रकार है :

(१) सरकार सभी अनुमतिपत्रोंको एक साथ जाँचनेके लिए एक दिन नियुक्त करे।
(२) सभी अनुमतिपत्रोंपर या तो उपनिवेश सचिवकी मुहर लगाई जाये, या इस समय जो अनुमतिपत्र हैं वे यदि सच्चे हों तो उन्हें बदलकर दे दिया जाये। अनुमतिपत्रमें क्या-क्या लिखा जाये, यह भारतीय समाजकी सम्मति लेकर ठहराया जाये।
(३) इस समय अनुमतिपत्र और पंजीयनपत्र दो दस्तावेज रखे जाते हैं। भारतीय समाजको उनके बदले एक ही दस्तावेज दिया जाये।
(४) बालिग लड़कों को भी अनुमतिपत्र दिया जाये।
(५) कोई भी भारतीय अनुमतिपत्र दिखाये बिना व्यापारका परवाना न प्राप्त कर सके।
(६) अधिकार प्राप्त भारतीयके बालकोंको भी अनुमतिपत्र दिये जायें।
(७) मुद्दती अनुमतिपत्र, जितनी उपनिवेश सचिव ठीक समझें, उतनी जमानत लेकर ही दिये जायें।

उपर्युक्त प्रणाली में सभी आपत्तियोंका समावेश हो जाता है। यह सही है कि इनमें से किसी-किसी शर्तका निहि सदा ही भारतीयोंकी भलमनसाहतपर निर्भर रहता है। जैसे, बिना अनुमतिपत्रके व्यापारका परवाना न लेना। किन्तु उस सम्बन्धमें हम सरकारसे प्रार्थना कर रहे हैं कि वह हम लोगोंपर भरोसा रखे। यह सब भी ज्यादा समय चलनेवाला नहीं है। क्योंकि सारे प्रश्नका निबटारा निकट भविष्यमें हो जाना चाहिए। और ये प्रश्न ऐसे हैं जिनका समावेश पंजीयन कानून में नहीं होता, बल्कि इनके लिए दूसरे कानूनोंकी आवश्यकता है।

आवेदन

आपकी ओरसे मैं सरकारसे प्रार्थना करता हूँ कि वह हमारे इस निवेदनको स्वीकार कर ले। उससे यह झगड़ा बड़ी सरकार तक जानेसे रुक जायेगा। हम लोग बड़ी सरकारसे रोज-रोज शिकायत करना नहीं चाहते। हम मेल-जोल और सम्मानके साथ स्थानीय सरकारके अधीन रहना चाहते हैं और गोरोंकी इच्छाका आदर करना चाहते हैं। किन्तु यह सब तभी हो सकता है जब वे लोग समझें कि हम मनुष्य हैं; हमारी भी भावनाएँ उनकी जैसी ही हैं और ब्रिटिश साम्राज्यमें हम भी समान नागरिक अधिकार भोगने योग्य हैं। किन्तु दुर्भाग्यसे यदि यह सभा सरकारके गले यह बात न उतार सके तथा हमारा प्रस्ताव उचित है, यह न समझा सके तो हमें बड़ी सरकारसे संरक्षण माँगना ही होगा। बड़ी सरकार संरक्षण करनेके लिए बाध्य है। जहाँ-जहाँ निर्बलोंपर

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