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::सबल जुल्म करें, वहाँ-वहाँ निर्बलोंकी सहायता के लिए दौड़ जाना बड़ी सरकारका कर्तव्य है। संघकी समितिने कुछ प्रस्ताव तैयार किये हैं, उनपर इस सभाका ध्यान आकर्षित करता हूँ। आप सब उपस्थित हुए हैं इसलिए मैं आपका आभार मानता हूँ। खुदा हमारी सहायता करे और शासकोंको ऐसी बुद्धि दे कि वे हमारे आवेदनको न्यायसंगत मानकर स्वीकार करें, तथा हमारे पास अपनी सचाईको छोड़कर और कोई बल नहीं है, यह समझकर अपने शासन कालके प्रारम्भमें हमें भविष्य के लिए आशा बँधायें। (करतल ध्वनि)।

उपर्युक्त भाषण श्री नानालाल शाहने अंग्रेजीमें पढ़कर सुनाया। इसके बाद श्री अलीने पहला प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

पहला प्रस्ताव

ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा आमन्त्रित यह सभा एशियाई कानून संशोधन विधेयकका सविनय विरोध करती है और मानती है कि यह विधेयक गैरजरूरी है तथा भारतीय समाजपर कलंक लगानेवाला है।

श्री [हाजी] वजीर अली

यह प्रस्ताव में खुशी से प्रस्तुत करता हूँ। इंग्लैंड जानेवाले शिष्टमण्डलमें मैं भी था। शिष्टमण्डलकी लड़ाईपर अब पानी फिर गया है। कोई कह नहीं सकता कि हम वफादार नहीं हैं। हम सदैव कानूनके अनुसार चलनेवाले हैं, फिर भी हमपर जुल्म होता है। जो लोग झूठे अनुमतिपत्रोंसे अथवा बिना अनुमतिपत्रके प्रविष्ट हो गये हैं उन्हें बचानेके लिए हम एकत्र नहीं हुए हैं। उन लोगोंको सरकार भले ही निकाल बाहर करें, परन्तु उनके अपराधके लिए सच्चे लोगोंको सजा हो, यह न्याय नहीं कहलायेगा। नई संसदमें कहा गया है कि अपराधी भारतीयोंको निकाल बाहर करनेके लिए मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं है। यह बात उचित नहीं है। सरकार भले ऐसा कानून बनाये कि बिना अनुमतिपत्रके कोई भी व्यक्ति व्यापार, नौकरी या फेरी नहीं कर सकेगा। इस प्रकार हो जाये तो कौन-सा भारतीय अनुमतिपत्रके बिना ट्रान्सवालमें टिक पायेगा? शिष्टमण्डल इंग्लैंडमें था तब [यहाँसे] इस प्रकारकी अर्जी भेजी गई थी कि शिष्टमण्डलके सदस्य सम्पूर्ण समाजका प्रतिनिधित्व नहीं करते। इस सभा में सभी कोमोंके भारतीय हैं, सब जगहोंसे आये हुए प्रतिनिधि हैं। यदि कोई भी व्यक्ति इस शिष्टमण्डलके विरुद्ध हो तो उसे इस समय बोलना चाहिए। लॉर्ड सेल्बोर्नने हमपर जो आक्रमण किया है। वह गलत है। जिस विधेयकको लॉर्ड एलगिनने नामंजूर किया, उसीको फिरसे प्रस्तुत किया गया, यह आश्चर्यकी बात है। अध्यक्ष महोदयने कहा है कि विधेयक चौबीस घंटे के अन्दर पास हुआ। मैं कहता हूँ कि वह डेढ़ घंटे के अन्दर पास हुआ। ब्रिटिश प्रजा क्या अपनी न्यायबुद्धि खो बैठेगी? यदि ऐसी बात है तो महारानी [विक्टोरिया] की घोषणा और महाराजा एडवर्डका सन्देश बखूबी लौटा लिया जाये। यह विधेयक यदि पास हो जाता है तो हम समस्त संसारमें निम्न कोटिके अपराधी माने जायेंगे। श्री स्मट्स हम लोगोंको 'कुली' कहकर सम्बोधित करें, यह लज्जाजनक है। मैं इंग्लैंडमें था तब मुझे नेशनल लिबरल क्लबका सदस्य बनाया गया था। उमराव लोग भी मेरा सम्मान करते थे। यदि यह कानून पास हो जाये तो मैं इस देशमें कभी नहीं रहूँगा। ऐसे