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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

श्री जूसब हाजी वली

क्या हम चोर या लुटेरे हैं कि रास्ते रास्ते आफ्रिकी पुलिस भी हमें रोक सके और पूछ सके? हमने बहुत भीख माँग ली। गोरोंके वचनोंपर विश्वास नहीं किया जा सकता। हम वैधानिक लड़ाई करते रहेंगे। परन्तु निजी परिश्रमकी आवश्यकता है। देशको मुक्त करने के लिए हमें स्वयं तालीम लेनी होगी।

रामसुन्दर पण्डित

सगी माँ हो, तो बच्चेको दूध पिलाती है। किन्तु सौतेली माँ बच्चेको खा जाती है। सरकार हमारी सौतेली माँके समान है। भारतके पितामह दादाभाई नौरोजीने भारतके लिए न्याय पाने में अपना जीवन लगा दिया, परन्तु सुनवाई नहीं हुई। हमारे लिए जरूरी है कि हम जापानका उदाहरण लेकर ऐक्यबद्ध हों और हुनरोंमें दक्ष तथा सुशिक्षित बनें। मैं इस कानूनके सामने झुकने के बजाय जेल जाना अच्छा समझता हूँ विलायत में औरतें अपने अधिकारोंकी रक्षाके लिए जेल जाती हैं, तो फिर हम मर्द होकर क्यों डरें? देश-हितके लिए मरना पड़े तो भी क्या? हमें बाबू सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे महान पुरुषोंका उदाहरण लेना चाहिए। इस देशमें हेय बन कर रहने के बजाय मैं भारत लौट जाना भी अच्छा समझता हूँ।

सर्वश्री वाजा, खुरशेदजी, श्री वी॰ नायडू, तथा के॰ एन॰ दादलानीने भी उपर्युक्त प्रस्तावका समर्थन किया और फिर वह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ।

दूसरा प्रस्ताव

ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा आयोजित यह सभा अस्वीकार करती है कि अधिकार रहित भारतीय बड़े पैमानेपर ट्रान्सवालमें आते हैं। और सरकार तथा जनताको विश्वास दिलाने के लिए उसी तरह स्वेच्छया पंजीयन कराना स्वीकार किया जाता है, जिस तरह लॉर्ड मिलनरके समय में किया गया था। शर्त यह है कि पंजीयन की विधि वैसी ही हो जैसी कि अध्यक्षके भाषण में बताई गई है। इससे विधेयकका उद्देश्य पूरा हो जायेगा और उसमें समाहित अपमानकी बात समाप्त हो जायेगी।

श्री अब्दुल रहमान

मैं यह प्रस्ताव पेश करता हूँ। मैं स्वयं इसे ठीक नहीं मानता। फिर भी चूँकि संघने यह कदम उठाया है इसलिए मुझे मान्य होना चाहिए। डच सरकारसे कुछ भी भला होने की सम्भावना नहीं है। श्री स्मट्सने स्मरण दिलाया है कि युद्ध हमारे लिए हुआ। अर्थात् डच सरकारसे हम लोग भलेकी आशा न रखें। और लॉर्ड सेल्बोर्न तो भला करेंगे ही क्यों? श्री रीज हमारी समितिसे[१] यह कहकर अलग हो गये हैं कि लॉर्ड सेल्बोर्नके खरीतेका उत्तर देना सम्भव नहीं है। परन्तु हमारे अध्यक्षने उसका ठीक उत्तर दिया है। हमें मताधिकार भी नहीं है। डच लोगोंसे हमें बहुत सीखना है। वे हिम्मतवाले हैं, इसीलिए उन्हें फिरसे राज्य मिला है। क्या हम हार मान लेंगे? जेल जाना इस कानूनके सामने झुकने की अपेक्षा अच्छा है।
  1. इंग्लेंडकी दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति।