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ट्रान्सवालके भारतीयोंकी विराट सभा


उपर्युक्त प्रस्तावका समर्थन सर्वश्री इब्राहीम गेटा, एम॰ पी॰ फ़ैन्सी, एस॰ डी॰ बोबात, अब्दुल रहमान मोती, मोहनलाल खंडेरिया, टी॰ नायडू तथा वी॰ अप्पासामीने किया और प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास हुआ।

तीसरा प्रस्ताव

यदि दूसरे प्रस्तावमें की गई नम्र विनतीको स्थानीय सरकार स्वीकार न करे तो यह सभा बड़ी सरकारसे संरक्षणकी माँग करती है। क्योंकि भारतीय समाजको निर्वाचनका अधिकार नहीं है, और वह समाज छोटा और निर्बल है।

श्री नादिरशाह कामा

इस प्रस्तावको मैं पेश करता हूँ। यह कानून क्या है, यह हमें समझना है। इस द्वारा हमारा बड़ा भारी अपमान हो रहा है। हम गोरोंके साथ मिलजुलकर रहना चाहते हैं। किन्तु उनकी गुलामी नहीं करेंगे। जो गलत ढंगसे आये हों उन्हें भले निकाल दिया जाये। हम सब एकतापूर्वक रहेंगे तो किसीको कुछ भी आँच आनेवाली नहीं है। हम लोग राजकीय अधिकार नहीं माँगते। हमने अनुमतिपत्र कई बार बदले। लॉर्ड मिलनर की सलाहसे अँगूठेकी छाप दी। राष्ट्रपति क्रूगरके जीवनकालमें लॉर्ड सेल्बोर्न हमारे न्यासी थे। राष्ट्रपति क्रूगरके मरनेपर वे क्रूगर बन गये हैं। ऐसा कानून जब हॉटेंटॉट लोगोंके लिए नहीं है, काफिरोंके लिए नहीं है, तो हमारे लिए क्यों होना चाहिए? मेरी चमड़ी काली है किन्तु दिल गोरोंसे सफेद है, ऐसा समझता हूँ। विलायत में हमारी समिति लड़ रही है। वहाँसे हमारे प्रतिनिधि विजय प्राप्त करके लौटे हैं। इसलिए हम निराश न हों। चाहे कुछ भी हो, हम यह कानून कभी स्वीकार नहीं करेंगे। यह सारी दुनियामें हमारा मुंह काला करनेवाला है। श्री स्मट्स क्या हमसे युद्धकी सहायताका बदला लेना चाहते हैं? हमारी मुसीबतें बहुत हैं। बड़ी सरकार यदि यह कानून पास कर देगी तो भी मैं इसे स्वीकार नहीं करूँगा।

श्री ई॰ एम॰ अस्वात

इस कानूनके बनानेवाले अंग्रेज थे। अब डच लोग राज्य कर रहे हैं। किन्तु इसमें उन्हें दोष देने की आवश्यकता नहीं। कुत्तेको ढेला लग जाये तो वह ढेला मारनेवाले व्यक्तिको काटता है, ढेलेको नहीं काटता। बोअर सरकारकी जमीन हम नहीं खायेंगे, उसकी फसल तो टिड्डियाँ खा गईं। मुझे यह कानून कदापि स्वीकार नहीं है।

श्री गबरू

इस कानूनका दंश साँपके दशके? समान है। यदि सम्राट् एडवर्ड हमारी सुनवाई अन्धकार छा गया है। हम लोगोंकी गिनती जो गोरे ब्रिटिश प्रजा नहीं वे लोग जो हक न करें तो यही समझिए कि सर्वत्र कुछ एशियाइयोंमें क्यों की जाती है भोगते हैं, क्या उतने हक भी हमें नहीं मिल सकते?

श्री गौरीशंकर व्यास

हमने आवेदनका प्रस्ताव पास किया है। वह भीख माँगनेका प्रस्ताव है। किन्तु जो हुआ सो ठीक हुआ। गत सितम्बर में एम्पायर नाटकघरमें जो प्रस्ताव पास किया