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तार : द॰ आ॰ वि॰ भा॰ समितिको

 

३१ मार्चकी सूचनाका स्पष्टीकरण

जोहानिसबर्गके एक पत्र लेखकने जो प्रश्न किया है वह सम्पादकने मेरे पास भेजा है। प्रश्न यह है कि ३१ मार्चके पहले पंजीकृत व्यक्तिने यदि अनुमति-पत्र न लिया हो तो उसे सिर्फ ट्रान्सवाल छोड़ने की ही सूचना मिलेगी या कुछ सजा भी होगी? इसके उत्तरमें निवेदन है कि यदि उस व्यक्तिपर बिना अनुमतिपत्रके रहनेका दोष लागू हो तो उसे सिर्फ सूचना ही मिलेगी।

जोहानिसबर्गके पत्र लेखकोंको सूचना

जोहानिसबर्गके पत्र-लेखक यदि अपने पत्र, लेख आदि 'ओपिनियन' के जोहानिसबर्ग कार्यालय में भेजेंगे तो उनकी तुरन्त व्यवस्था हो सकेगी। क्योंकि, उन कागजोंके फीनिक्स से वापस जोहानिसबर्ग आनेमें कुछ समय बेकार जाता है। पता पो॰ ऑ॰ बॉक्स ६५२२ लिखें।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १३-४-१९०७
 

४३१. तार : द॰ आ॰ ब्रि॰ भा॰ समितिको[१]

[जोहानिसबर्ग,
अप्रैल १९, १९०७ के पूर्व]

[सेवामें
दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति
लन्दन]

चीनियोंने सरकारको लिखा है कि उन्होंने भारतीय प्रस्तावको स्वीकार कर लिया है। 'रैंड डेली मेल' ने सरकारको सलाह दी है कि वह भी स्वीकार कर ले।[२]

[बिआस]

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सी॰ ओ॰ २९१-१२२
  1. यह उपनिवेश उप-मन्त्रीको श्री एल॰ डब्ल्यू॰ रिच द्वारा १९ अप्रैलको भेजा गया था।
  2. देखिए "जोहानिसबर्ग की चिट्ठी", पृ४ ४३७।