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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

इस उत्तरका परिणाम

इस उत्तरको सरकार अच्छा समझेगी या बुरा, कहा नहीं जा सकता। लेकिन इतना तो निश्चित है कि इससे वह विचारमें अवश्य पड़ेगी। जेलका प्रश्न सरकारने ही उठाया है। उससे अब हम पीछे हट जायें तो उसमें समाजका हलकापन प्रकट हुए बिना नहीं रहेगा। उत्तरमें न तीखापन है, न कोई भीरुता। वह सभ्य किन्तु दृढ़ है। उससे समाजकी मर्दानगी प्रकट होती है।

चीनियोंमें हलचल

पिछले शनिवारको श्री गांधीके दफ्तर में चीनी नेता इकट्ठा हुए थे और उन्होंने भारतीय समाजका समर्थन करनेका प्रस्ताव किया है। चीनी वाणिज्य दूतने भी उन्हें यही सलाह दी है। मतलब यह कि हर तरफसे बल मिलता दिखाई दे रहा है।

एशियाई भोजन-गृह

एशियाई भोजन-गृहका कानून संघकी लड़ाईके बावजूद पास कर दिया गया है और सरकारी 'गज़ट' में छप चुका है। अतः भोजन-गृह चलानेवालोंको परवाने ले लेने चाहिए। किन्तु यह बात याद रखनी चाहिए कि यदि उनके रसोईघर और खानेके कमरे एकदम साफ नहीं होंगे तो उन्हें परवाने नहीं मिल पायेंगे।

नया कानून स्वीकृत होनेकी अफवाह

यहाँ ऐसी अफवाह उड़ी थी कि लॉर्ड एलगिनने नया कानून मंजूर कर लिया है। इससे संघने खबर मँगवाई तो मालूम हुआ है कि वैसी कोई बात नहीं हुई। अफवाह झूठी है।

सावधानी

इस सम्बन्ध में सावधान रहना जरूरी है। बहुत मेहनत हो जानेपर भी सम्भव है कि कानूनपर लॉर्ड एलगिनके हस्ताक्षर हो जायें। इसलिए अच्छा रास्ता यह है कि जो लोग व्यापार करते हैं वे दुकान या फेरीका पूरे वर्षका परवाना ले रखें। ऐसा करनेसे यदि कानून अमल में आया तो भी इस वर्ष तो व्यापारको धक्का नहीं लगेगा। इस बीच जेलका मार्ग अपनाया जायेगा तो आखिर कानून रद हुए बिना नहीं रह सकता

चीनियोंकी सहमति

चीनियोंने सरकारको तार भेजा है और लिखा है कि उन्हें कानून पसन्द नहीं है और भारतीय समाजने जो अर्जी दी है वह उन्हें मंजूर है।[१]

'रैंड डेली मेल' की टीका

इसके आधारपर 'रैंड डेली मेल' ने बहुत ही सुन्दर टीका करते हुए लिखा है कि चीनियोंने भारतीयोंकी अर्जीका समर्थन किया है। इसका अर्थ हुआ कि सारा एशियाई समाज अध्यादेशके विरुद्ध है। इससे सरकारको लाजिमी तौरसे भारतीय अर्जी मंजूर कर लेनी चाहिए। भारतीय समाजका कानून के विरुद्ध आपत्ति करना उचित ही है। उसकी भावनाओंको चोट नहीं पहुँचानी चाहिए।

  1. "तार : द॰ भ॰ ब्रि॰ भा॰ समितिको", पृष्ठ ४३५ भी देखिए।