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पत्र : छगनलाल गांधीको

 

श्री चैमनेको जवाब

इस पत्रके अंग्रेजी सम्पादककी ओरसे श्री चैमनेकी रिपोर्टका[१] जो लम्बा जवाब दिया गया था उसे 'रैंड डेली मेल' ने प्रकाशित किया है। उसे उसने अग्रलेख के नीचे ही स्थान दिया है। जवाब दो भागों में प्रकाशित होगा।

श्री उस्मान लतीफका पत्र

श्री उस्मान लतीफने "ब्रिटिश इंडियन" नामसे यहाँके अखबार में पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने बताया है कि भारतीय समाजने कई बार प्रमाणपत्र लिये। व्यापारिक प्रतिस्पर्धाकी आपत्ति झूठी है। महारानी विक्टोरियाके वचनों और दूसरे वचनोंकी ओर तथा इस बातकी ओर कि भारतीय समाज ब्रिटिश राज्य की रक्षाके लिए सदा तैयार है, ध्यान देकर उसके साथ न्याय किया जाना चाहिए।

समितिको तार

दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समितिको चीनियोंकी सहमति और '[रैंड] डेली मेल' के समर्थनके विषय में तार भेजा गया हैं और पूछा गया है कि विलायतमें क्या हो रहा है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २०-४-१९०७
 

४३७. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग
अप्रैल २०, १९०७

प्रिय छगनलाल,

हरिलालने तुम्हारे पितासे राजकोटमें जो १० पौंड लिये थे, उनके खयाल से मैं प्रेस-खाते में १० पौंड जमा कर रहा हूँ और अपने निजी हिसाब में इतना ही खर्च दिखा रहा हूँ। और मैं यह माने लेता हूँ कि यदि अभीतक ले नहीं लिया हो तो तुम प्रेससे ये १० पौंड ले लोगे।

कल्याणदासके सम्बन्धमें जो ४ पौंडकी मद पड़ी है उसके बारेमें वही यहाँ ठीक जान पड़ती है। जब महीना पूरा हुआ था, ३ पौंड प्रेसके खर्च में डाले गये थे और कल्याणदासको दिये गये थे, ४ पौंड कार्यालयके खर्च में डाले गये थे और कल्याणदासको दिये गये थे। साफ है कि ४ पौंड प्रेसके नाम होना चाहिए और ३ पौंड कार्यालयके नाम। ऐसा अब कर दिया जायेगा। अब यहाँ किया यह जाना चाहिए कि प्रेसके खर्च में १ पौंड डाल दें। ये दाखिले तब सही होंगे, जबकि तुमने उस समय अपने यहाँ कोई दाखिला न लिया हो; अर्थात्, जो दाखिले यहाँसे भेजे गये हैं उनसे अलग तुमने कोई दाखिला कल्याणदास के नाम न किया हो। यदि कर चुके हो तो तुम्हें उसका जमा-खर्च बराबर कर लेना होगा। मैं यह भी माने लेता हूँ कि कल्याणदासको तुमसे कोई रकम नहीं मिली, क्योंकि मेरे खाते में उसके नाम ७ पौंड जमा हैं।

  1. देखिए "चैमनेकी रिपोर्ट", पृष्ठ ४२८-२९ तथा "जोहानिसबर्ग की चिट्ठी", पृष्ठ ४३२-३५।