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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

न्यू क्लेयरके धोबियोंपर हमला

न्यू क्लेयरमें धोबियोंके कपड़े धोनेके घाटोंके विषयमें 'संडे टाइम्स' में सख्त लेख आया है। लेखकने कहा है कि न्यू क्लेयरकी सारी जमीन बदबू और गन्दगीसे सड़ रही है। कपड़े धोनेके घाट भारतीय धोबियोंने बिगाड़ डाले हैं। पानी बहुत ही गन्दा हो गया है और बदबू मारता है। इसलिए उसमें कपड़े धोना-न-धोना बराबर है। लेखकका कहना है कि उसमें धोये हुए कपड़ोंसे किसी-न-किसी दिन बीमारी फैल जायेगी। भारतीय धोबियोंको इस सम्बन्धमें सावधानी बरतनी चाहिए। घाटका पानी हर बार उलीचकर साफ रखना चाहिए। नहीं तो निश्चित ही उनकी रोजी जानेका डर है। लेखकने नगरपालिकाको तत्काल ही कारगर उपाय करनेकी सलाह दी है।

"कुली व्यापारी"

इस शीर्षकसे 'संडे टाइम्स' में एक लेखकने बहुत ही कड़वा लेख लिखा है। उसने लिखा है कि खानमें से चुराये हुए सोनेका धन्धा केवल काफिर और भारतीय फेरीवाले ही करते हैं। वे इसीसे धनवान बन जाते हैं। वे लोग इस चोरीसे लिये सोनेको गलाकर कड़े बनवा लेते हैं और हाथोंमें पहने रहते हैं। कभी-कभी खुफियोंको यह बात मालूम रहती है, फिर भी वे उन्हें नहीं पकड़ते; और कभी-कभी पकड़ भी नहीं सकते, यह बात बिलकुल ठीक है। किन्तु अच्छे भारतीयों और उनके अंग्रेज मित्रोंको इसका पता नहीं है। फिर भी लेखक का कहना है कि भारतीय निःसन्देह इस तरहकी चोरी बहुत करते हैं।

इसमें कितना सत्य है, यह कोई नहीं जान सकता। लेकिन जो भारतीय ऐसे व्यापारमें फँसे हुए हों उन्हें सावधान हो जाना चाहिए।

'स्टार' की उत्तेजना

नेटालके बारेमें श्री रिचने 'मॉर्निंग पोस्ट' में एक पत्र लिखा है। उसे 'स्टार' ने पूरा छापा है और उसपर टीका की है। टीकामें लिखा है कि भारतीय समाज जाग्रत है। इंग्लैंडमें उसके बड़े जबरदस्त समर्थक हैं। उनमें फूट नहीं है। वे बराबर काम कर रहे हैं। उनकी पहुँच बहुत है। उनसे बड़ी सरकार बहुत डरती है। इस स्थिति में यदि नया कानून नामंजूर हो तो आश्चर्य नहीं। इसलिए गोरे बिलकुल नरम हो गये हैं। उन्हें अध्यादेशकी कोई चिन्ता ही नहीं है। 'स्टार' ने सलाह दी है कि गोरोंको बड़ी-बड़ी सभा करके अध्यादेश पास हो, वैसी व्यवस्था करनी चाहिए। नहीं तो भारतीय लोग बहुत घुस आयेंगे और गोरोंको नुकसान होगा।

गोरोंको इस तरह भय लग रहा है कि शायद कानून पास नहीं होगा। इस समय पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। और यदि ऐसा हो तो आश्चर्य नहीं कि अब भी जीत हो जाये। लेकिन मैं भूल गया। जिन्होंने जेलका प्रस्ताव स्वीकार किया है वे तो सदा जीते ही हुए हैं। उनकी दोनों तरहसे जीत है।

जनरल बोथाके समक्ष शिष्टमण्डल

'रैंड डेली मेल' में एक तार है, जिससे मालूम होता है कि लॉर्ड ऐम्टहिलके नेतृत्व में एक शिष्टमण्डल एशियाई कानूनके सम्बन्ध में जनरल बोथासे मिल चुका है। उसमें सर मंचरजी, सर हेनरी कॉटन, श्री हैरॉल्ड कॉक्स, न्यायमूर्ति श्री अमीर अली, श्री रिच और दूसरे लोग