पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/४९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
श्री गांधीकी प्रतिज्ञा
४६१

उपस्थित थे। लॉर्ड ऐम्टहिलने कहा कि भारतीय समाजकी प्रतिष्ठा गिरानेवाला कानून तो बनना ही नहीं चाहिए। ट्रान्सवालमें इस समय जो भारतीय रहते हैं वे वहाँ इज्जतके साथ रह सकें, ऐसी परिस्थिति होनी चाहिए। जनरल बोथाने उत्तरमें कहा कि उनका भारतीयोंका अपमान करनेका रत्ती भर भी इरादा नहीं है और उनकी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए वे अपनी ओरसे यथासम्भव प्रभाव डालेंगे। शिष्टमण्डलके सदस्योंने अखबारवालोंसे कहा है कि जनरल बोथाके उत्तरको सन्तोषजनक माना जा सकता है।

श्री हाजी वजीर अली

श्री हाजी वजीर अली केप टाउनसे लिखते हैं कि केपका प्रवासी अधिकारी अब पासपर अनिवार्य रूपसे फोटो नहीं मांगेगा। वे 'आरगस' के सम्पादक श्री पॉवेलसे मिले हैं और उन्होंने मदद देनेके लिए कहा है। श्री अली केपके संघसे लन्दन समितिके लिए ५० पौंड लेनेकी तजवीज भी कर रहे हैं।

लोबिटो-बे जानेवाले भारतीय[१]

जो भारतीय नेटालसे लोबिटो वे गये हैं उनके मालिकका एजेंट यहाँ है। उसने सूचित किया है कि सब भारतीय सुरक्षित पहुँच गये हैं और लोबिटबेके जिस हिस्से में वे गये हैं, वहाँकी हवा बहुत अच्छी है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ४-५-१९०७
 

४४८. श्री गांधीकी प्रतिज्ञा

जोहानिसबर्ग
अप्रैल ३०, १९०७

सेवामें
सम्पादक
'इंडियन ओपिनियन'
महोदय,

कई भाइयोंने लिखकर सूचित किया है कि यदि ट्रान्सवालका पंजीयन कानून पास होगा तो वे सितम्बरके प्रस्तावपर डटे रहकर जेल जायेंगे। इन सब लोगोंको धन्यवाद है। कुछ पत्रोंसे मुझे दिखाई देता है कि अग्रणियोंके वैसे पत्र न होनेके कारण कुछ लोग नाराज हुए हैं। मैं मानता हूँ कि अग्रणियोंने पत्र नहीं लिखे, इसमें शंका करनेका कोई कारण नहीं है। मैं नहीं मानता कि वे नये अनिवार्य पंजीयनपत्र लेनेमें पहल करेंगे।

फिर भी कहीं मुझसे गलती न हो, इसलिए प्रतिज्ञा करके कहता हूँ कि यदि नया कानून लागू होगा तो मैं कानूनके अनुसार कभी भी अनुमतिपत्र व पंजीयनपत्र नहीं लूँगा,

  1. देखिए "लोबिटो बे जानेवाले भारतीय", पृष्ठ ४०३।