पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/५००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि उनके कानूनी कागजात ऐसे कागजातसे बदल दिये जायें, जिनपर पारस्परिक सहमतिके आधारपर निर्धारित काफी शिनाख्ती निशान हों। इसका मतलब यह नहीं कि वर्तमान कागजातमें उनके मालिकोंकी शिनाख्त के लिए काफी निशान नहीं हैं। यह समझौता उपनिवेशवादियोंके विक्षुब्ध मनको ठंडा करनेके लिए प्रस्तावित किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह समझौता, यद्यपि यह विचित्र प्रतीत हो सकता है, एक मानीमें स्वयं एशियाई अधिनियमसे भी आगे बढ़ जाता है; अर्थात्, इसमें वयस्क हो जानेवाले अल्पवयस्कोंके लिए भी अनुमतिपत्र लेनेकी व्यवस्था है, और इस वयस्कताका निर्णय उपनिवेश-सचिवके अधीन है।

आप पूछ सकते हैं कि यदि यह प्रस्ताव निष्कपट है तो इस अधिनियमको लेकर कोई हंगामा क्यों होना चाहिए। उत्तर स्पष्ट है। ब्रिटिश भारतीय अपराधियोंकी श्रेणीमें रखे जाना नहीं चाहते। लेकिन अधिनियमके अनुसार, निस्सन्देह, उनके साथ हुआ है यही। वे इस कथनका पूर्ण रूपसे खण्डन करते हैं कि बड़े पैमानेपर कोई गैरकानूनी प्रवेश हुआ है या समाजके नेताओंकी ओरसे ऐसे प्रवेशको किसी प्रकार शह दी गई है। दमनकारी कानूनोंकी आवश्यकता तब होती है जब, जिन लोगोंपर वह लागू होता है, वे अमनपसन्द नहीं होते और उनसे जो कुछ कहा जाता है वह स्वेच्छया नहीं करते। ब्रिटिश भारतीयोंने सदा विधिचारी होने का दावा किया है, और इसलिए वे वर्ग-विधानपर, जो उनके इस दावे के विरुद्ध पड़ता है, आपत्ति करते हैं। आप चाहें तो इसे कोरी भावुकता कह सकते हैं। फिर भी यह भावुकता समाजके लिए, जिसका मुझे प्रतिनिधित्व करनेका सम्मान प्राप्त है, एक वास्तविकता है; और मैं समझता हूँ, आदमके जमानेसे ही यह भावुकता मानवके कार्य-कलापोंको जिस प्रकार प्रभावित करती आई है, आपके सामने उसके उदाहरण पेश करना जरूरी नहीं।

प्रस्तावित समझौता बड़ा सस्ता है श। अगर इसके कारगर होने में किसी प्रकारका सन्देह है तो, कानूनपर विचार-विमर्शके दौरान, क्यों न इसका प्रयोग करके देखा जाये? क्या यह बात ज्यादा अच्छी और साम्राज्यके हितमें नहीं होगी कि आप ताजके निरीह प्रजाजनोंके विरुद्ध जनताको भड़काने के बजाय इस समझौतेको मंजूर करनेकी वकालत करें?

आपका आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
स्टार, ३०-४-१९०७