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४५४. पंजाबमें हुल्लड़

जोहानिसबर्गके 'रैंड डेली मेल' तथा 'लीडर' को भयंकर तार प्राप्त हुए हैं। उनका सारांश हम नीचे दे रहे हैं :

मालूम होता है, पंजाबमें लोग गदर करनेके लिए तैयार हो रहे हैं । १८५७ के बाद भारतमें पहली ही बार ऐसी गड़बड़ी देखने में आई है। देशी अखबार गुप्त रूपसे और खुलेआम उत्तेजना दे रहे हैं। 'पंजाबी' पर मुकदमा चलाया गया, यह अच्छा नहीं हुआ। जिस बातको कुछ ही लोग जानते थे उसे अब सारा भारत जान गया है। अखवारका जोर बढ़ गया है। लोग सरकारी नियन्त्रणकी उपेक्षा करने लगे हैं। बम्बई के अखबारपर मुकदमा चलानेसे भी यही हाल हुआ। अधिकारी घवड़ा गये हैं। पंजाब में न्यायाधीश स्वयंसेवक बने हैं और उन्होंने हथियार धारण किये हैं। इसी कारण से दिल्लीके घेरेका जो प्रदर्शन होनेवाला था वह स्थगित कर दिया गया। लेकिन लोगों के मन शान्त हो गये हैं, ऐसा नहीं मालूम होता।

इस प्रकारका तार हैं। इसलिए निवेदन है कि खुदा या ईश्वर भारतका भला करे, ऐसी सब प्रार्थना करें। यह समय जिस प्रकार दक्षिण आफ्रिकाके लिए नाजुक है, वैसे ही भारत के लिए भी है। हमें अपने कर्तव्यका यहाँ निर्वाह करना है। यदि देशको मर्दानगी और हिम्मतकी कभी आवश्यकता पड़ी है तो वह इस समय।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ४-५-१९०७
 

४५५. भेंट : 'नेटाल मर्क्युरी' को

[मई ७, १९०७]

कल 'मर्क्युरी' के संवाददाताने श्री गांधीसे श्री लॉयनेल कटिसके 'टाइम्स' में प्रकाशित उस सुझावके बारेमें भेंट ली जिसका आशय ग्रेट ब्रिटेनके उष्णकटिबन्ध-स्थित प्रदेशोंको भारतीयोंको बसाने के लिए सुरक्षित रखना था और सोमवारको हमारे तार-समाचार स्तम्भमें भी जिसका उल्लेख था। श्री गांधीने सुझावको अमान्य कर दिया है।

श्री गांधीका कहना है कि जबतक भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिकामें अथवा दूसरी जगहों में निवासके अधिकार प्राप्त हैं तबतक ऐसा सुझाव अव्यवहार्य है तथा भारतीय उसे कदापि मान्य नहीं कर सकते। जैसा कि उन्होंने अक्सर कहा है, दक्षिण आफ्रिकी एशियाइयोंके मामलेको हाथमें लेनेका उनका एकमात्र उद्देश्य इस देशमें भारतीयोंके "निहित स्वार्थी" की रक्षा करना है। उनमें से बहुतों को निवासका जो अधिकार प्राप्त है उन्हें उससे वंचित करना निःसन्देह उनकी दृष्टिमें निहित स्वार्थीको ठुकराना होगा। श्री गांधीने कहा कि निवासके अधिकार भारतीय स्थितिकी मुख्य शक्ति हैं; और इंगित किये जानेपर उन्होंने स्वीकार किया कि वे इससे जितना बने उतना लाभ उठानेका इरादा रखते हैं।