पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१
पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको


पिछला इतवार मैंने आपके कुटुम्बीजनोंके साथ गुजारा। आपने मुझे हर बातके लिए तैयार कर रखा था, इसलिए मुझे किसी बातसे आश्चर्य नहीं हुआ; नहीं तो आपकी बहनों और तेजस्वी पिताजीसे मिलकर बहुत ही सुखद आश्चर्य होता। सचमुच दोनों बहनें बड़ी प्यारी हैं और यदि मैं अविवाहित होता, या तरुण होता या मिश्रित विवाहमें मेरी आस्था होती तो आप जानते हैं, मैं क्या करता। बहरहाल मैंने उनसे यह कहा कि अगर मैं उनसे १८८८ में मिला होता (न मिलनेकी बातपर उन्होंने मुझे बहुत आड़े हाथों लिया) तो मैं उन्हें अपनी बेटियाँ बना लेता। इस प्रस्तावका आपके पिताजीने प्रबल विरोध किया। आपकी माताजीने बड़ा आतिथ्य किया। प्रोफेसर परमानन्द[१] मेरे साथ थे। उन्होंने अपनेको कुटुम्बमें घुला-मिला लिया है। आपकी माताजी भयंकर मन्दाग्निसे पीड़ित हैं। मैंने धीरेसे यहूदी ढंगके लम्बे उपवासका प्रस्ताव किया। मुझे भय है कि प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होगा, फिर भी उसका असर तो हुआ ही है। मैंने मिट्टीकी पट्टीका दावा भी पेश किया। जाते-जाते तक कदाचित् मैं कुछ प्रभाव डाल सकूँ। कुछ भी हो, उन्होंने कहा कि वे सही बात माननेको तैयार हैं। मैं यह बता दूँ कि शोरवा सारा आपके पिताजीने बनाया था। उन्होंने मुझे बताया कि उसका माल-मसाला आदि सोचनेमें उन्हें पर्याप्त समय लगा। मैं मिलीकी[२] बहनसे मिलने नहीं जा पाया हूँ। देखता हूँ, जितने कामका सौदा किया था उससे ज्यादा काम मेरे पास है और मित्रोंसे जाकर मिलनेके लिए क्षण-भरका अवकाश नहीं है। तो भी मैंने उसे लिखा है कि वह मुझे किसी शाम मिल सकनेका समय दे। आज किसी समय जवाब आना चाहिए। मैं उससे मिले बिना रवाना नहीं होऊँगा।

आपको यह जानकर ताज्जुब नहीं होगा कि मैं यह पत्र हमारे मित्र श्री सीमंड्सको बोलकर लिखा रहा हूँ।

चूँकि श्री अली चाहते थे, मैंने हम लोगोंकी पहुँचका तार[३] कर दिया था। उन्होंने श्रीमती अलीसे ऐसा वादा किया था।

ऊपरका अंश टाइप होनेके बाद मैं आपके पिताजीसे मिला हूँ। वे सोचते हैं, ३०० पौंड प्रति वर्ष काफी नहीं होगा। बेशक उनकी कल्पना स्वभावतः ऊँची है। फिर भी चूँकि उनको स्थानीय जानकारी और अनुभव है, वह हर प्रकार विचारणीय है। इसलिए यदि आप ५०० पौंडका प्रस्ताव पास करा सकें तो ज्यादा अच्छा हो। खर्च तो वही करना चाहिए जो नितान्त आवश्यक है; फिर भी यदि अधिक व्यय करनेका अधिकार दे दिया जाये तो मैं जानता हूँ, पैसा नाहक खर्च नहीं किया जायेगा। मैं श्री स्कॉटसे मिल चुका हूँ और आप जानकर खुश होंगे कि श्री जे० एम० रॉबर्ट्सनसे भी। आपके पिताजी श्री स्कॉटके मित्र हैं। वे मुझे उनके पास ले गये थे। और जब श्री रॉबर्ट्सन लोकसभा में प्रवेश कर रहे थे, तब श्री स्कॉटने उनसे हमारा परिचय कराया। दोनों सज्जन सवालमें दिलचस्पी ले रहे हैं। श्री स्कॉटने सुझाया कि मैं लोकसभामें कुछ सदस्योंके सामने बोलूँ।[४] श्री स्कॉट और श्री रॉबर्ट्सन उसका इन्तजाम कर देंगे। श्री मैकारनिसने भी इसी तरहका सुझाव

  1. देखिए खण्ड ५, पृष्ठ २३।
  2. श्रीमती मिली ग्राहम पोलक ।
  3. यह उपलब्ध नहीं है।
  4. सभा ७ नवम्बरको हुई थी; देखिए "लोकसभा-भवनकी बैठक", पृष्ठ १११-१२।