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उमर हाजी आमद झवेरीको बिदाई


विद्यासे उसकी अपेक्षा अधिक मिल सकती है, इसलिए उन्होंने विद्याध्ययन करनेका निर्णय किया है। कोई यह समझेगा कि इतनी बड़ी उनमें विद्याभ्यास करना असम्भव है, तो मैं कहूँगा कि शेखसादीने ४० वर्षकी उम्र के बाद विद्याभ्यास करना प्रारम्भ किया था। कांग्रेसके काम-काजके लिए उन्होंने अपने आदमियोंका खुलकर उपयोग किया है। श्री छबीलदासकी मदद तो बहुत उपयोगी मानी जायेगी।

एशियाई कानून

एशियाई कानूनके सम्बन्ध में बोलते हुए श्री दाउद मुहम्मदने कहा :
ट्रान्सवालमें जो कानून बना है उसका मुझे बहुत खेद है। इस सम्बन्ध में मैंने जब तार देखा तभी मुझे बुखार चढ़ आया था। यह कानून हमारी बहुत ही बेइज्जती करनेवाला है। इसका विरोध करने में सभी भारतीयोंका हित है। इसका मुझपर इतना प्रभाव पड़ा है कि हमारे पास चाहे जितना धन हो, और उस सबको कुरबान ही क्यों न करना पड़े, फिर भी हमें इस कानूनके सामने नहीं झुकना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि ट्रान्सवाल भारतीय समाज दृढ़तापूर्वक इस कानूनका विरोध करेगा और इसके लिए जेल जाना पड़े तो जेल जाना मँजूर करेगा। इस प्रकार मिलनेवाली जेलको मैं बगीचा मानता हूँ। वहाँ जानेसे इज्जत बढ़ती है। बेइज्जती तो है ही नहीं। मैं यह भी आशा करता हूँ कि डर्बनके अनुमतिपत्र कार्यालयसे कोई भी सम्बन्ध नहीं रखेगा। इस कानून के विरुद्ध जितना जोर दिखाया जाना चाहिए उतना यदि हम नहीं दिखायेंगे तो आखिर यहाँसे जानेकी नौबत आयेगी और सारे दक्षिण आफ्रिकामें खराब कानून बनने शुरू हो जायेंगे।

कांग्रेसका मानपत्र

नेटाल भारतीय कांग्रेसके मन्त्रित्वकाल में आपने यूरोप और अमेरिकाकी यात्रा करके योग्यता प्राप्तकी तथा उसके द्वारा भारतीय समाज की बहुत ही उम्दा सेवाएँ की। उन्हें कांग्रेसकी ओरसे हम प्रशंसापूर्वक स्वीकार करते हैं।
सतत लगन, धैर्य और स्वदेश-प्रेमके कारण आपने भारतीय समाजके कामको प्राथमिकता दी तथा सार्वजनिक काममें अमूल्य सहायता दी। अपनी ममता, भलमनसाहत और अचल धैर्यके कारण आपने सबका सम्मान अर्जित किया है। आपकी अनुपस्थितिसे होनेवाली कमीकी पूर्ति होना मुश्किल है। आपने अपने स्वर्गीय लोकप्रिय भाई श्री अबूबकरका अनुसरण किया है। आपका अतिथि सत्कार प्रसिद्ध है। गरीब और अमीर सबका आपके यहाँ समान रूपसे स्वागत हुआ है।
आपने तमाम सार्वजनिक कामोंमें उत्साह दिखाया है। आपका वह उत्साह आपके शिक्षाके लिए किये गये प्रयत्नोंमें भी दिखाई देता है। भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालयको आपने जो प्रोत्साहन दिया है वह भी उसका एक उदाहरण है। अपने देश-भाइयोंकी और भी अच्छी तरह सेवा कर सकें, इसके लिए आप अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं। हम अन्तःकरणसे कामना करते हैं कि खुदाकी मेहरसे आप उसमें सफल हों।
आप सुख-शान्तिपूर्वक स्वदेश लौटें। स्वदेशमें आपके दिन आनन्दमें गुजरें और आप सकुशल वापस लौट आयें।

यह मानपत्र भेंट करते हुए श्री आँगलियाने कहा कि यदि मुझसे कुछ बन पड़ा हो तो उसका श्रेय श्री झवेरीको हैं। क्योंकि उनकी लगन और देशप्रेमका रंग मुझे भी लगा