पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/५१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४७८
सम्पूर्ण गांधी वाङमय

था। श्री उमर झवेरी स्वयं बहुत काम करते थे। इतना ही नहीं, वे अपने नौकरोंको भी कांग्रेसके काममें जुटाते थे। उनमें श्री छबीलदास मेहता मुख्य हैं। श्री छबीलदासने बहुत मदद की है। श्री झवेरीकी जगहकी पूर्ति होना मुश्किल है। किन्तु आशा है कि श्री दादा उस्मान उस कमीकी बहुत-कुछ पूर्ति कर सकेंगे। श्री रुस्तमजी ठीक समयपर आ पहुँचे, यह खुशीकी बात है। इससे मन्त्रियोंको बहुत मदद मिल सकेगी। मेरी कामना है कि श्री झवेरी बैरिस्टर बनें। इसके बाद एशियाई पंजीयन के सम्बन्धमें बोलते हुए उन्होंने कहा कि वे स्वयं मीयादी अनुमतिपत्र लेकर जानेकी तजवीज कर रहे थे। किन्तु कानून मंजूर हो जानेसे उसके प्रति अपना विरोध व्यक्त करने के लिए उन्होंने निश्चय किया है कि अब अनुमतिपत्र बिलकुल नहीं माँगेंगे। आशा है कि ट्रान्सवालके भारतीय जेलके प्रस्तावपर अटल रहेंगे और कोई भी भारतीय व्यक्ति अनुमतिपत्र कार्यालयसे सम्बन्ध नहीं रखेगा।

मेमन समितिका मानपत्र

इसके बाद मेमन समितिका मानपत्र उसके संयुक्त अवैतनिक मन्त्री श्री पीरन मुहम्मदने पढ़ा। उसका अनुवाद निम्नानुसार है :

मेमन कौमके गरीब लोगोंको हर प्रकारकी मदद देनेके लिए निधि शुरू की गई है। उस निधिके लिए आपने जो कोशिश की उसके लिए हम, उसकी कार्य समितिके सदस्य, आपका अन्तःकरणसे आभार मानते हैं। वास्तवमें निधिके संस्थापक और व्यवस्थापक आप ही थे। और हम बिना किसी अतिशयोक्तिके कह सकते हैं कि आप मेमन समाजके मुकुटके समान हैं। अपने समाजके प्रति आपके मनमें जो भक्ति है उसके कारण ही समाज उस निधिको मजबूत किये हुए है। हम आशा करते हैं कि आपकी अनुपस्थितिके दिनों में हम समितिकी शक्तिको जैसीकी-तैसी कायम रख सकेंगे और आपके लौटनेपर आपकी धरोहर आपके सुपुर्द कर देंगे।

भारतीय पुस्तकालयका मानपत्र

भारतीय पुस्तकालयका मानपत्र श्री उस्मान अहमद एफेन्दीने पढ़ा। उसका अनुवाद नीचे देते हैं :

भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालयके काममें आपने जो मदद दी है उसके लिए हम पुस्तकालयकी समिति और सदस्योंकी ओरसे हृदयसे आभार मानते हैं। आपकी ज्ञान-प्राप्तिकी आकांक्षा सर्वविदित है। इस काममें आपने जो मदद दी वह आपके स्वभावके अनुरूप ही है।
इस पुस्तकालयके प्रति आपकी सद्भावना है। हमें विश्वास है कि आप उसे कायम रखेंगे और नेटालके सार्वजनिक जीवनके अपने प्रिय काममें भाग लेनेके लिए आप जल्दी वापस आयेंगे।

भारतीय समाजका मानपत्र

फिर श्री आर॰ आर॰ मूडलेने भारतीय समाजकी ओरसे मानपत्र पढ़ा। उसका सारांश यह है :

आपके स्वदेश लौटने के अवसरपर आपका विशेष तौरसे आभार मानना हम अपना कर्तव्य समझते हैं। आप कट्टर धर्म-भावनावाले हैं। फिर भी आपने हिन्दुओं