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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

उनके भरण-पोषणका यदि प्रश्न उठता हो तो उस सम्बन्धमें उत्तर दिया जा चुका है। यानी ऐसे लोगोंके भरण-पोषणकी व्यवस्था भारतीय समाज कर लेगा। इतना याद रखना है कि १३ हजार लोगोंको एक ही साथ जेल जाना नहीं होगा। और यदि वैसा हो तो छुटकारा तत्काल ही हो जायेगा। और जब सबको एक ही साथ जेल जाना नहीं है तब एक-दूसरेकी सार-संभाल करनेवाला कोई-न-कोई तो हमेशा बाहर रहेगा ही।

सच्चा अनुमतिपत्र किसे कहा जाये?

एक पत्र लेखकने यह प्रश्न भी उठाया है। जिन्होंने सच्चे शपथपत्रके द्वारा अनुमतिपत्र प्राप्त किया हो और जिनके हस्ताक्षर या अँगूठे अनुमतिपत्रोंपर लगे हों, वे निर्वासित हों या न हों, वे लोग सच्चे अनुमतिपत्रवाले हैं और उन्हीं लोगोंको ट्रान्सवालमें रहना तथा जेल जाना है।

छोटे गाँववालोंका क्या होगा?

यह प्रश्न बेलफास्टवाले एक भाईने किया है। उपर्युक्त उत्तरमें इस सवालके उत्तरका भी बहुत-कुछ समावेश हो जाता है। किन्तु यदि छोटे गाँवोंपर पहले हमला हुआ तो ऐसी जगहोंपर अक्सर श्री गांधी पहुँच जाया करेंगे। यदि वे ट्रान्सवालके दूसरे हिस्सों में कहीं रुक गये तो भी लोगोंको डरना बिलकुल नहीं चाहिए। जब कोई भी व्यक्ति अनुमतिपत्र देखने आये तब उसे अपने पास जो भी अनुमतिपत्र हो, बता दिया जाये। नया अनुमतिपत्र लेनेसे हमारा अपमान होता है, इसलिए कहा जाये कि नया अनुमतिपत्र बिलकुल नहीं लेंगे। अँगूठेके सिवा दूसरी अँगुलियाँ लगवाना चाहें तो साफ इनकार कर दिया जाये। सूचना मिले तो नाम, पता वगैरह के साथ एकदम संघको सूचित किया जाये। और सूचनाकी अवधि पूरी हो जानेपर अदालतमें जाकर वहाँ जो भी सजा दी जाये उसे भोगा जाये। जुर्माना नहीं दिया जाये। यह खबर हर भारतीयको ऐसे सब लोगों तक पहुँचा देना जरूरी है जो न जानते हों।

सोलह वर्षसे ज्यादा उम्र के लड़के

पीटर्सबर्ग से इस विषयमें कुछ सवाल पूछे गये हैं। चाहे जो भी लड़का हो, जबतक वह् १६ वर्षसे कम उम्रका होगा, नहीं पकड़ा जायेगा। और जिसकी उम्र १६ वर्षसे ज्यादा हो गई हो, उसके पास अनुमतिपत्र हो या न हो, या दूसरे कोई दस्तावेज न हों तब भी उसकी हालत सच्चे अनुमतिपत्रवालेके समान ही मानी जाये।

चालू अनुमतिपत्रका आखिर क्या होगा?

लिंडलीज़पोर्टसे एक भाई पूछते हैं कि जिन लोगोंके पास इस समय अनुमतिपत्र हों वे यदि कामसे इस लड़ाईके बीच स्वदेश लौटना चाहें तथा बादमें वापस आना चाहें तो उनका अनुमतिपत्र ठीक माना जायेगा या नहीं। जो जेल जानेकी तैयारी कर रहे हैं उनके मन में यह प्रश्न उठना ही न चाहिए क्योंकि लड़ाईका अन्त क्या होगा, यह कहा नहीं जा सकता। फिर भी सामान्यतः इस सवाल का जवाब यह है कि अनुमतिपत्रवाले मनुष्यके लिए लौटने में किसी भी प्रकारकी अड़चन आना सम्भव नहीं।

पुलिसकी जाँचके समय क्या किया जाये?

एक पत्र लेखकने पाँचेफ्स्ट्रूमसे पूछा है कि पुलिस जाँच करनेके लिए आये तब क्या उत्तर दिया जाये? पुलिस जबरदस्ती अनुमतिपत्र ले जाये तो क्या किया जाये? इन प्रश्नोंके उत्तरमें इतना ही कहना है कि पुलिस अनुमतिपत्रकी जाँचके लिए आये तब उसे अनुमतिपत्र बताया