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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

समाजके लिए नये कानूनके सामने घुटने टेकने से होनेवाले कष्टोंकी तुलना में जेलके कष्ट किसी गिनतीमें नहीं हैं। नये कानूनका विरोध करनेके लिए वे बिलकुल तैयार हैं। पैसे भी इकट्ठा कर रखे हैं और वे कानूनके सामने कभी घुटने नहीं टेकेंगे। मैं आशा करता हूँ कि स्टैंडर्टनके इस उदाहरणके समान चलकर हर गाँव में हर भारतीय ऐसा ही बेधड़क जवाब देगा। हम अब रणमें उतरे हुए हैं, इसलिए न हमें जरा भी डरना है, और न कुछ छिपाना ही है।

'स्टार' की धमकी

क्लार्क्सडॉर्प में भारतीयोंने जेल जानेके सम्बन्धमें सभा की। उससे 'स्टार' के सम्पादक महोदय कुछ बिगड़े हैं। इसलिए श्री पोलकने उन्हें उत्तर दिया है कि क्लार्क्सडॉर्प ही नहीं, जस्टिन आदि जगहों में भी वैसी ही सभाएँ हुई हैं। इसपर सम्पादक महोदय और भी अधिक बिगड़े, और उन्होंने टीका करते हुए लिखा है कि भारतीय समाजको बढ़ानेवाले कुछ नेता लोग ही हैं। उन्हें यदि देश-निकाला दिया जाये तो दूसरे कोई ऐसे भारतीय नहीं हैं जो कुछ बोलें। वे लोग नया कानून खुशी-खुशी मंजूर कर लेंगे। इसका जवाब श्री गांधीने नीचे लिखे अनुसार दिया है :

श्री गांधीका जवाब[१]'

आपने अपने अग्रलेखमें कहा है कि अग्रणी भारतीयोंको निकाल दिया जाये तो विरोध करनेवाले भारतीय दुःखी नहीं होंगे। लेकिन उन विरोध करनेवाले लोगोंको मुझे कह देना चाहिए कि जबरदस्ती निकाल देनेका कानून है ही नहीं। वैसा करनेके लिए नया कानून पास करना होगा और तब जो भारतीय अपने देशकी और राज्यकी भी सेवा करने को तैयार हैं उन्हें ट्रान्सवाल सरकार निकाल सकेगी। उसी प्रकार आप कहते हैं कि नेताओंको निकाल दिया जाये तो शेष भारतीय कानूनको मान लेंगे और मान लेनेके बाद वे समझ जायेंगे कि नये कानूनके द्वारा उनका कितना रक्षण होता है। और उसके बारेमें उन्हें कितना गलत समझाया गया है। इस तरह कहने से साफ जाहिर होता है कि आप भारतीय समाजकी भावनाको नहीं समझ सकते। यदि आप मानते हों कि एक भी भारतीय व्यक्ति कानूनको अपना रक्षक मानता है तो उसमें आप भूलकर हैं। मैंने उस कानूनको बहुत पढ़ा है। किन्तु भारतीयोंकी रक्षा करनेवाली एक भी धारा उसमें नहीं दिखाई दी। फिर भारतीयोंके लिए तो चक्करमें आनेकी कोई बात है ही नहीं। क्योंकि उनके सामने जो बात रखी गई है वह बहुत ही सरल है। नये कानून के द्वारा भारतीयोंकी चमड़ीको कलंकित कर उनका अपमान किया गया है। वह कानून भारतीयोंको कुछ हद तक गुलाम बनाता है, क्योंकि वह उनके व्यक्तित्वपर आक्रमण करता है।
इसलिए उन्हें सलाह दी गई है कि अभी जितनी भी छूट है उसे उन्हें कानूनके सामने झुककर किसी भी प्रकार नहीं खोना चाहिए। मैं मानता हूँ कि नया कानून लागू होगा तो भारतीयोंकी ऐसी स्थिति हो जायेगी।
  1. देखिए "पत्र : 'स्टार' को", पृष्ठ ४८७-८८।