पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/५४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५११
जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
अपना माल बेचने के लिए नौकर रखे और उस नौकरको छुड़ा दे तो उसके बदले में नौकर रखे गये दूसरे व्यक्तिको वह असल परवाना दे सकता है। किन्तु वह नगरपालिकासे अनुमति लेनेके बाद। कोई भी फेरीवाला अपना माल बेचनेके लिए किसी भी जगहपर बीस मिनटसे ज्यादा नहीं ठहर सकता और उस जगहपर उसी दिन दुबारा नहीं आ सकता।
खदानोंपर जानेकी फेरीवालोंको अनुमति नहीं है। कोई भी फेरीवाला अपनी गाड़ी में से माल निकालकर दुकानके समान बाहर सजाकर नहीं रख सकता। अपनी पैदा की हुई वस्तुको कोई व्यक्ति या उसका नौकर बिना परवानेके बेच सकता है। उसपर उपर्युक्त कानून लागू नहीं होता।

जोहानिसबर्ग नगरपालिकाका कानून इस प्रकार बन चुका है और सम्भव है कि दो सप्ताहमें उसे गवर्नरकी मंजूरी मिल जायेगी। इस कानूनका अर्थ यह हुआ कि फेरीवालेका परवाना लेकर कोई व्यक्ति एक ही जगह खड़ा नहीं रह सकता। प्रेसिडेन्ट स्ट्रीट मार्केट अब बन्द हो जायेगा, अथवा वहाँ व्यापार करनेवाले व्यक्तिको दूकानका अनुमतिपत्र लेना होगा।

उपर्युक्त कानून सख्त है। किन्तु गोरों और कालों सबपर लागू होता है, इसलिए उसका विरोध नहीं किया जा सकता। क्रूगर्सडॉर्प नगरपालिकाने भी ऐसे ही कानून बनाये हैं। इससे स्पष्ट मालूम होता है कि चूँकि परवाना लेनेवाले सभी लोग भारतीय हैं, इसलिए चाहे जैसे कठिन कानून बनाये जायें, उसमें कोई हर्ज नहीं।

ट्रामगाड़ियोंका कानून

आखिर ट्रामगाड़ियोंके बारेमें फैसला हो गया है। जिन कानूनोंका ब्रिटिश भारतीय संघने विरोध किया था वे पास हो चुके हैं और 'गज़ट' में प्रकाशित भी हो गये हैं। उनमें कुछ बातें तो ठीक मालूम होती हैं। जैसे 'रंगदार लोग' (कलर्ड पर्सन) के अर्थमें एशियाई लोगोंका समावेश नहीं होता। इस कानूनमें और भी कई बातें हैं। उनमें से मैं नीचे लिखा उद्धरण देता हूँ :

परिषदको चाहे जिस ट्राम गाड़ीको, या उसके किसी हिस्सेको सिर्फ यूरोपीय, सिर्फ एशियाई या सिर्फ रंगदार लोगोंके लिए सुरक्षित करनेका हक है। नगरपरिषद हर-किसीको चाहे जिस गाड़ी में प्रवेश करने की अनुमति विशेष तौरसे दे सकती है। गोरोंके बालकों को ले जानेवाले नौकर चाहे जिस गाड़ीमें जा सकते हैं। अपने मालिकके साथ या मालिकको जिस गाड़ीमें जानेका हक हो उस गाड़ीमें नौकर जा सकता है। परिषद हर वर्गके यात्रियोंके लिए उचित व्यवस्था करने के लिए उत्तरदायी है।

इस कानूनके विषयमें दो बातें जानने योग्य हैं। एक तो यह कि गोरोंके नौकर, चाहे वे जितने काले हों, उनके साथ गाड़ीमें जा सकते हैं। और दूसरी बात यह कि बीसवें नियमके अनुसार परिचालक आपत्ति न करे तो कुत्ते गोरोंकी गाड़ीमें जा सकते हैं। यानी कुत्ते और काले नौकरोंको छोड़कर स्वतंत्र भारतीयको जबतक विशेष परवाना न मिले तबतक उस गाड़ी में जाने की अनुमति नहीं है। इस कानूनके विषयमें कोई यह अवश्य कह सकता है कि गोरोंको काले लोगोंकी गाड़ीमें बैठनेका हक नहीं है। सिर्फ अन्तर इतना है कि गोरे