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पत्र : 'स्टार' को
होनेका गर्व करनेको कहते हैं। हम उनसे बार-बार कहते हैं कि उनके उन पदों तक पहुँचने में कोई रुकावट नहीं है, जिनपर भारतमें अंग्रेज आसीन हैं; और जो कुछ हम उनके लिए करते हैं या उनसे कहते हैं उसमें हमारा मंशा यह है कि वे जब कभी भी, विश्वके किसी भी हिस्सेमें, ब्रिटिश झंडेके नीचे होंगे, उनके साथ ब्रिटिश नागरिकोंका-सा व्यवहार किया जायेगा।

इस कानूनसे ब्रिटिश राजनीतिज्ञ घोर अपमानकी स्थिति में पड़ गये हैं। लॉर्ड लैन्सडाउनने इस स्थितिको इतनी तीव्रतासे महसूस किया है कि वे पूछते हैं : क्या थोड़े-से भारतीयोंको लुका-छिपीसे देश में आ जाने देनेकी अपेक्षा सारे भारतीय राष्ट्रकी भावनाओंको आघात पहुँचाना अधिक हानिकारक और अदूरदर्शितापूर्ण न होगा? लेकिन जिस प्रस्तावका मैंने ऊपर उल्लेख करने का साहस किया है वह छद्म-प्रवेशके विरुद्ध उतना ही कारगर है जितना कि एशियाई कानून हो सकता है।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ८-६-१९०७