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परिशिष्ट—३

कॉमन रूम
लिफन्स इन, डब्ल्यू॰ सी॰
[लन्दन,
नवम्बर १५, १९०६]

[सेवा में
सम्पादक
'टाइम्स'
लन्दन]
महोदय,

आपके कलकी तारीखके अंक में हमने इस आशयका एक विवरण देखा है कि श्री चचिलने कहा है कि एशियाई कानून संशोधन अध्यादेशके विरुद्ध आवाज उठानेके लिए श्री गांधी और श्री अलीको अपना प्रतिनिधि अस्वीकार करते हुए जिन दो भारतीयोंने लॉर्ड एलगिनके पास प्रार्थनापत्र भेजा है उनके नाम हैं डॉ॰ विलियम गॉडफ्रे और श्री सी॰ एम॰ पिल्ले। चूँकि हमारे नामोंको हमारे भाईके नामके साथ मिलाकर गलतफहमी पैदा की जा रही है, इसलिए हम कहना चाहते हैं कि हम उनके विचारोंसे, उनके प्रार्थनापत्रसे और जो रुख उन्होंने अख्तियार किया है उससे पूर्णतया असहमत हैं।

हम ट्रान्सवालके एशियाई कानून-संशोधन अध्यादेश के बारेमें अपने ३ नवम्बर के प्रार्थनापत्र में व्यक्त जोरदार विरोधको फिर दुहराते हैं। हमारा वह प्रार्थनापत्र महामहिमके मुख्य उपनिवेश मन्त्री परममाननीय लॉर्ड एलगिनको भेजा गया था। श्री गांधी और श्री अलीने जो विरोध प्रकट किया है उससे हम पूर्णतः सहमत हैं और वे जो कार्य कर रहे हैं उसमें हम हृदयसे उनको सहयोग देते हैं।

हमारे भाईने जिस मार्गका अनुसरण किया है, उसका कारण समझाना सम्भव नहीं है, क्योंकि हमने तो उन्हें वीर योद्धाकी भाँति दक्षिण आफ्रिकामें अपने देशवासियोंके पक्षका सदैव समर्थन करते हुए देखा है।

यह प्रार्थनापत्र श्री गांधीको एक राजनीतिक आन्दोलनकारी बताकर उनके सम्बन्धमें गलतफहमी पैदा करता है। उनसे और भारतीय कार्यसे हमारा कमसे कम १५ वर्षोंका सम्बन्ध है और वस्तुस्थितिके इस गाढ़े परिचयके आधारपर हम जिम्मेदारी के साथ कह सकते हैं कि उनका श्रम विशुद्ध रूपते प्रेमका श्रम है और किसी स्वार्थपूर्ण लक्ष्यका साधन नहीं है।

आपका, आदि,
जॉर्ज वी॰ गॉडफ्रे
जेम्स डब्ल्यू॰ गॉडफ्रे

[अंग्रेजीसे]
प्रिटोरिया आर्काइव्ज़ : एल॰ जी॰ फाइल : १९०२–१९०६