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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय


सर मंचरजी और सर विलियम वेडरबर्नसे मैं दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंके लिए एक स्थायी समितिकी स्थापनाकी उपयोगिताके बारेमें चर्चा करता रहा हूँ। शायद आपको याद हो, बहुत पहले आपने यह सुझाव दिया था। अगर एक या दो बरसोंके लिए अलग-अलग विचारोंका प्रतिनिधित्व करनेवाले लोगोंकी ऐसी एक स्थायी समिति स्थापित की जा सके तो हमारा काम उपयोगी ढंगसे चलता रह सकेगा। इसलिए ऐसी समितिकी स्थापना के बारेमें मैं बहुत उत्सुक हूँ। तब शायद हम दूसरा शिष्टमण्डल भी ला सकें।

मैंने श्री पोलकको इसके विषय में लिखा है[१] और हाँ या ना में जवाब देने को कहा है।

मेहरबानी करके इस मामले में अपनी राय बतायें। अगर आप मुझसे सहमत हों तो आज शामको लिखकर मेरी रायकी पुष्टि कर देनेकी कृपा करें।

आपका शुभचिन्तक,

श्री हाजी वजीर अली
लेडी मार्गरेट अस्पताल
ब्रॉमले

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४०८) से।

२६. पत्र : युक लिन ल्यूको

[होटल सेसिल
लन्दन]
अक्तूबर २६, १९०६

प्रिय श्री ल्यू,

आपने चीनी समाजकी ओरसे चीनी राजदूत (या मन्त्री?) के नाम लिखा गया एक प्रार्थनापत्र[२] मेरे पास भेजनेका वादा किया था कि मैं, आप जो पत्र मुझसे लिखाना चाहते हैं, उसका मसविदा तैयार कर सकूँ।

चीनी प्रार्थनापत्रके मिलते ही मैं निवेदनका मसविदा लिखने के लिए बिलकुल तैयार हूँ; यह तो आप मानेंगे कि कुछ नहीं तो तारीख और विवरणके लिए मुझे उसका मिलना जरूरी है।

आपका सच्चा,

श्री युक लिन ल्यू
चीनी दूतावास
पोर्टलैंड प्लेस, डब्ल्यू०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४०९) से।

  1. १. देखिए, "पत्र: हेनरी एस० एल० पोलफको", १४ १९-२२ ।
  2. इसका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था पर उपलब्ध नहीं है।