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आवेदनपत्र : लॉर्ड एलगिनको
 

६. १८८५ के कानून ३ के अन्तर्गत मलायी लोगोंके लिए पंजीयन अनिवार्य था।

७. १८८५ का कानून ३ एक अनभिज्ञ सरकारने पास किया था और ब्रिटिश सरकारने उसको वापस लेनेका वचन दिया था।

८. उत्तरदायी सरकार १८८५ के कानून ३ को वर्ग-विधानका पूर्वादर्श नहीं बना सकी।

९. १८८५ का कानून ३ एक सरकारने उन लोगोंके सम्बन्धमें पास किया था जो उसके प्रजाजन नहीं थे।

१०. चूंकि पंजीयन अपमानजनक नहीं था, इसलिए छूटका कोई प्रश्न ही नहीं उठता था।

 

इस तरह कलमकी एक हरकतसे उनके अधिवासका वर्तमान अधिकार प्रभावहीन और निरर्थक कर दिया जायेगा। दूसरे शब्दोंमें, जो निहित स्वार्थ अबतक इतने पवित्र माने जाते थे, एक सनक पूरी करने के लिए छीन लिये जायेंगे।

नये अध्यादेश के अमलसे मलायी लोग मुक्त हैं।

वर्तमान अध्यादेश एक विज्ञ सरकारने, जो भारत और उसकी सभ्यताके इतिहास से पूरी तरह परिचित है, जानबूझ कर पास किया है।

उत्तरदायी सरकार इस अध्यादेशको वर्ग-विधानका पूर्वादर्श माने तो वह सर्वथा उचित ही होगा।

वर्तमान अध्यादेश एक ऐसी सरकारने पास किया है जो उसी साम्राज्य के अन्तर्गत है जिसके अन्तर्गत भारतीय हैं।

वर्तमान अध्यादेश भारतीयोंका स्तर काफिरोंसे भी नीचा कर देता है;

(क) क्योंकि उन काफिरोंको, जिनके लिए पास रखना आवश्यक है, वैसे अपमानजनक शिनाख्ती ब्योरे नहीं देने पड़ते जिनका विधान अध्यादेशमें है।

(ख) काफिर एक निश्चित दर्जा प्राप्त करनेके बाद पास रखनेके दायित्वसे मुक्त कर दिये जाते हैं, किन्तु भारतीयोंको, भले ही उनका दर्जा कुछ भी हो या वे कैसे ही सुशिक्षित क्यों न हों, पंजीकृत होना ही चाहिए और पास रखने ही चाहिए।

नये अध्यादेशके कारण

२४. हमें मालूम हुआ है कि अध्यादेशको पास करनेके कारण निम्न हैं :

(क) यह कि स्थानीय सरकार भारतीयोंकी, जिनके विरुद्ध ट्रान्सवालके गोरे अधिवासियोंमें बहुत ज्यादा पूर्वग्रह है, कथित अनधिकृत बाढ़को रोकना चाहती है।