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आवेदनपत्र: लॉर्ड एलगिनको

लागू होते थे और स्वर्गीय हैरी एस्कम्ब[१] द्वारा पेश किये गये थे। ऐसा वर्गभेद-रहित कानून अब कारगर तौरपर पास किया जा सकता है। तब इससे आगामी उत्तरदायी सरकारके सामने यह कल्पना स्पष्ट हो जायेगी कि साम्राज्य सरकारने प्रतिबन्धक कानून क्यों पास किया था तथा आगेके प्रतिबन्धोंकी आवश्यकता सिद्ध करनेकी जिम्मेदारी भी उसकी ही होगी।

२९. किन्तु यदि ऐसा कदम इस समय व्यावहारिक न हो तो शिष्टमण्डलकी विनीत सम्मतिमें समस्त प्रश्न तबतकके लिए छोड़ दिया जाये जबतक नये विधान के अन्तर्गत नव-निर्मित ट्रान्सवाल विधानसभाकी बैठक नहीं होती।

वैकल्पिक उपाय: एक आयोग

३०. इस बीच भारतीय समाजके लिए कमसे कम इतना कर देना उचित है कि एक शक्तिशाली और निष्पक्ष आयोग नियुक्त किया जाये, जो ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंके अनधिकृत प्रवेश सम्बन्धी आरोपोंकी जाँच करे और शान्ति-रक्षा अध्यादेशके प्रशासनके बारेमें, जाँहातक तक वह ब्रिटिश भारतीयोंको प्रभावित करता है, रिपोर्ट दे। वह इस सम्बन्ध में भी रिपोर्ट दे कि ब्रिटिश भारतीयोंके अवैध प्रवेशको रोकनेके लिए वर्तमान कानून पर्याप्त हैं या नहीं। वह सामान्यतः ब्रिटिश भारतीयोंको प्रभावित करनेवाले कानूनोंके सम्बन्धमें भी राय जाहिर करे। यदि जिन लोगोंने आरोप लगाया है वे सच्चे हैं तो आयोगकी कार्रवाईमें बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगना चाहिए।

ब्रिटिश भारतीयोंकी अन्य एशियाइयोंसे भिन्नता

३१. शिष्टमण्डलको खास तौरसे इस बातका आग्रह करनेकी हिदायत दी गई है कि ब्रिटिश भारतीयोंको प्रभावित करनेवाले प्रश्नपर इसी रूप में विचार किया जाये और उन्हें अन्य अब्रिटिश एशियाइयोंके साथ न मिलाया जाये। ब्रिटिश भारतीयोंको ट्रान्सवालके कानूनोंके सम्बन्धमें भी विशेष वचन दिये गये हैं, भारतमें भी और भारतसे बाहर भी। अगर अब भारतीय इन वचनोंकी समुचित पूर्तिकी माँग करते हैं तो उसे अधिक नहीं मानना चाहिए।

३२. इसके अलावा, समाजकी साख दांवपर है। संशोधन अध्यादेश एक दण्डात्मक कानून है। यह ट्रान्सवालमें समाज द्वारा अनधिकृत भारतीयोंको प्रवेश करानेके कथित संगठित प्रयत्नका मुकाबला करने के लिए पेश किया गया है। यदि महामहिमकी सरकार ऐसे कानूनको मंजूर कर देती है तो वह समग्र भारतीय समाजको अपराधी ठहरानेमें भागीदार होगी औरnवह भी ऐसे गम्भीर आरोपको सिद्ध करने के लिए सार्वजनिक रूपसे कोई प्रमाण प्रस्तुत किये बिना।

हम हैं, लॉर्ड महोदयके विनम्र सेवक,
मो० क० गांधी
हा० व० अली
ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय शिष्टमण्डलके सदस्य

छपी हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (सी० ओ० २९१, खण्ड ११३, इंडिविजुअल्स तथा एस० एन० ४४४१ अ) से।

  1. १८३८-९९) नेटालके प्रधानमंत्री, १८९७; देखिए खण्ड १, पृष्ठ ३९० ।