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५४. नेटाल, तू जागता है या सोता?

ट्रान्सवालके भारतीय नेटालके भारतीयोंका दरवाजा खटखटाकर उपर्युक्त प्रश्न पूछ रहे हैं। ट्रान्सवालके भारतीय कहते हैं कि “हम केसरिया बाना पहनेंगे और रणमें जूझेंगे।" तब नेटालके भारतीय भाई रणमें आहतोंकी सार-सँभाल करेंगे या दूर रहेंगे? इस प्रश्नका उत्तर प्रत्येक नेटालवासी भारतीयको अपने मनमें सोच लेना है।

यदि ट्रान्सवालकी मदद करने में ईमानदारी हो तो नेटालके भारतीयोंको भी अपनी टेक निभानी चाहिये। नेटालके नेताओंने टान्सवालके भारतीयोंको हिम्मत बँधाईहै, वह तो पत्र और तार द्वारा। कहे और लिखे हुए शब्दोंपर चलनेका समय अब आया है। इसलिए हम नेटालके भारतीयोंको सावधान होनेकी सलाह देते हैं। नहीं तो सभी नेटालके बारेमें यही गायेंगे कि:

बिना टेकवाला बहु बोली बोले
पछी आपनी टेक एके न पाले।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ६-७-१९०७

५५. खूनी कानून

खूनी धाराएँ

जो सोचा था वही हुआ। 'ट्रान्सवाल गजट' में ऐलान किया गया है कि जुलाई १ से नया कानून अमलमें आयेगा। इस कानूनके अन्तर्गत जो धाराएँ बनाई गई हैं वे इतनी कठोर, खूनी है कि उनके अनुसार कोई भी भारतीय चल सकेगा, सो नहीं मालूम होता। उन धाराओंका सम्पूर्ण सारांश हम नीचे दे रहे हैं:

१. इस धारामें पृथक्-पृथक् व्याख्याएँ दी गई हैं।
२. एशियाईका पंजीयनपत्र किस प्रकार रखा जाये, यह बताया है।
३. सोलह वर्षसे अधिक आयुवाले व्यक्तिको पंजीयनके लिए 'ख' फार्मके अनुसार आवेदन देना चाहिए। सोलह वर्षसे कम और आठसे अधिक आयुवाले लड़केको 'ग' फार्मके अनुसार आवेदन देना चाहिए।
४. प्रत्येक वयस्क व्यक्तिको उपनिवेश-सचिव द्वारा नियुक्त व्यक्तिके पास उपस्थित होना होगा और उसे 'ख' फार्मके अनुसार अर्जीमें देने योग्य सारी हकीकत भरकर देनी होगी। इसीके साथ अपनी अर्जीके समर्थनमें यदि उसे अपना अनुमतिपत्र, तीन पौंडवाला पंजीयनपत्र तथा अन्य कोई दस्तावेज देने हों, तो देगा। आठ वर्षसे अधिक आयुवाले लड़केके आवेदनके लिए उसके पिता अथवा अभिभावकको अपने लड़केके साथ उपस्थित होना होगा और ऊपर बताये गये