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खूनी कानून

 

फार्म च
पंजीयनपत्र

पूरा नाम………
प्रजाति……… आयु……… ऊँचाई………
वर्णन………

दाहिना अंगूठा

पंजीयक के हस्ताक्षर………
तारीख………
मालिकके हस्ताक्षर………

फार्म छ[१]
मुद्दती अनुमतिपत्र


सूचना

'गजट' में यह सूचना है कि पहली जुलाईको प्रिटोरिया या उसके प्रदेश में रहनेवाले एशियाईको अपने नये पंजीयनपत्रके लिए जुलाई ३१, १९०७ से पहले रिचर्ड टेरेन्स कोडोके पास ७०, चर्च स्ट्रीटमें आवेदनपत्र देना चाहिए।

श्री कोडी सोमवारसे शुक्रवार तक सबेरे ९ बजेसे शामके ४ बजे तक उपर्युक्त स्थानपर रहेंगे। और शनिवारको दोपहरके २ बजे तक रहेंगे।

धाराओंका प्रभाव

धाराओं में अनपेक्षित बातें ज्यादातर निम्न प्रकार दिखाई देती हैं:

(१) भारतमें अपनी माँके प्रति हिन्दू और मुसलमान दोनों इतना अधिक आदर रखते हैं कि यदि उसका नाम कोई लेनेके लिए कहे तो कत्ल हो जाता है। उस माताका नाम आवेदनपत्रोंपर चढ़ेगा।

(२) यह स्वप्न में भी खयाल नहीं किया गया था कि लड़कोंकी सब अँगुलियोंकी निशानियाँ ली जायेंगी। अब उनकी अठारह अँगुलियोंकी निशानियाँ ली जायेंगी। अनुवादकका अनुभव है कि नौ वर्षके कमजोर बालकको अनजान मनुष्य हाथ लगा दे तो वह रो पड़ता है। ऐसे कोमल भारतीय बालकोंको अब जालिम हाथ लगेगा। उनकी अँगुलियाँ लगाई जायेंगी और बाप बैठा हुआ देखेगा।

(३) सब अँगुलियोंकी निशानी एक बार ही नहीं दो बार देनी होंगी। इकट्ठी और अलग-अलग।

(४) पुलिसको अँगुलियोंकी निशानी लेनेका आदेश है, बड़े छोटे सबकी।

(५) व्यापारी बाहर जाये और उसका मुनीम परवाना माँगे तो उसके हाथमें व्यापारीके दाहिने अंगूठेकी निशानीवाला मुखत्यारनामा होना चाहिए, यह अपमानकी हद है। आगेसे भारतीय मुखत्यारनामेमें हस्ताक्षर पर्याप्त नहीं, अंगूठेकी निशानी चाहिए।

(६) सारे आवेदनपत्र अधिकारी लिखेंगे। वकील या एजेंटसे कोई नहीं लिखवा सकेगा। सरसरी तौरसे देखनेपर यह धारा पैसा बचानेवाली है। किन्तु गहराईसे देखनेपर

  1. इस फार्मका विवरण उपर्युक्त च फार्मके अनुसार है।