मंजूर कर लिया है, उससे कुछ नहीं होता। अभी तो भारतीय समाज द्वारा उसकी मंजूरी बाकी है।
जबतक भारतीय समाज इसे स्वीकार नहीं करता तबतक माना ही नहीं जा सकता कि यह कानून पास हो गया है। यदि कोई बड़े या छोटे भारतीय इस कानूनकी गुलामी स्वीकार कर लें तो भी दूसरोंको उनका अनुकरण नहीं करना चाहिए। जो स्वतंत्र रहेंगे वे जीतेंगे।
मौलवी साहब अहमद मुख्त्यारने बड़े जोशसे भाषण देते हुए समझाया कि मुसलमान और हिन्दू सबको हिल-मिलकर चलना है। सच्चा मुसलमान तो वह है जो दीन और दुनिया द काम संभालता है। हजरत यूसूफ अबेसलामपर जब बला आई थी तब उन्होंने खदासे प्रार्थना की थी कि हे खुदा, मुझे इस बलाकी अपेक्षा जेल देना। किसी भी भारतीयको जुल्मी कानूनके सामने झुकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि एक समितिको गाँव-गाँव घूमकर लोगोंको इस बातका भान कराना चाहिए। यदि ऐसी कोई समिति बनी तो मैं भी उसके साथ जानेको तैयार हूँ।
श्री नायडूने तमिल भाषामें समझाकर कहा कि मेरी जान चली जाये तब भी नये कानूनके सामने नहीं झुकूँगा।
श्री उमरजी सालेने भी भाषण करते हुए कहा कि सभी भारतीयोंको हिलमिलकर चलना चाहिए और अनुमतिपत्र कार्यालयका बहिष्कार करना चाहिए।
श्री एम० एस० कुवाड़ियाने पहले वक्ताओंका समर्थन किया। श्री कामाने कहा कि यह कानून इतना खराब है कि इसके सामने एक भी भारतीय झुक नहीं सकता। मेरा सब कुछ चला जाये तब भी मैं इस कानूनको स्वीकार नहीं करूंगा।
इमाम अब्दुल कादिरने कहा कि कोई भी भारतीय इस कानूनको स्वीकार करे, मैं तो स्वीकार नहीं करूंगा। यह कानून आजीवन कारावाससे भी बुरी सजा देता है। मौलवी साहबने स्वयं प्रस्तावका समर्थन किया और गाँव-गाँव जानके लिए अपनी उद्यतता दिखाई।
श्री मकनजीने कहा, मुझे आशा थी कि कानून में जरा-सी भी गुंजाइश होगी तो मैं उसे स्वीकार कर लूंगा। लेकिन अब तो मैंने निश्चयकर लिया है कि कोई भी उसे स्वीकार करे, मैं नहीं करूंगा।
श्री हाजी इब्राहीमने भाषण देते हुए अन्तमें कहा कि यह कानून स्वीकार नहीं किया जा सकता।
श्री नूर मुहम्मद अय्यूबने कहा कि भारतीयोंके लिए अपना जोश दिखानेका यह स्वर्ण अवसर है।
श्री इस्माइल जुम्मा, श्री मनजी नथू, श्री त्र्यम्बकलाल और श्री हाजी उस्मान हाजी अबाने भी ऐसे ही भाषण दिये।
श्री काछलियाने कहा कि निन्यानवे प्रतिशत सूरतियोंके बारे में तो मैं विश्वास दिला सकता हूँ कि वे जेल जायेंगे।
श्री उमरजीने उनका समर्थन किया।
श्री गौरीशंकर व्यासने कहा कि ईमानदारों के लिए तो सितम्बर माहकी शपथ काफी बन्धनकारी है।
श्री नीमजी आनन्दजीने कहा कि कानून हर्गिज स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।