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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जेल। जेलका विचार प्रत्येक भारतीयके लिए सामान्य बन जाना चाहिए। पुलिस यदि प्रश्न पूछती है अथवा निशानी माँगती है और उसका उत्तर नहीं दिया जाता है तो नये कानूनके अनुसार उसकी सजा जेल अथवा जुर्माना है। जुर्माना तो देना ही नहीं है। इसलिए जेल ही बची। मेरी सलाह यह भी है कि फोक्सरस्टसे आनेवाले किसी भी भारतीयको अब पुलिसको अँगूठे या अँगुलियोंकी निशानी नहीं देनी चाहिए। परिणामस्वरूप यदि उसे मजिस्ट्रेटके पास ले जायें, तो वहाँ [अपना अधिकार] सिद्धकर देना चाहिए, और इतनेपर भी मजिस्ट्रेट उसे जेल दे तो वह भोगी जाये। किन्तु यह लड़ाई केवल सच्चे लोगोंके लिए है। जिनके पास अपने अंगूठेकी निशानीवाले अनुमतिपत्र हैं, उन्हींपर यह बात लागू होती है। इसमें हिम्मत बड़ी चाहिए। किन्तु उसे रखना है और रखेंगे।

दूसरा साँप

यह तो एक साँप हुआ। दूसरा साँप परवानेसे सम्बन्धित है। मैं मानता था कि परवाने के सम्बन्ध में अंगुलियोंके निशान लगवानेका काम जनवरीमें शुरू होगा। किन्तु अब देखता हूँ कि वह आजसे ही शुरू है। अत: यदि कोई परवाना लेने जायेगा तो उससे अँगुलियोंकी निशानी मांगी जा सकती है। किन्तु यह बात राजस्व अधिकारियोंको भी मालम नहीं हई होगी, और मैं आशा करता हूँ कि सब भारतीयोंने अपना-अपना परवाना ले लिया होगा। लेकिन इस प्रकार हम कबतक चल सकेंगे? सरकारने जगह-जगह अंगुलियोंकी बात लाग की है। अत: अब बहुत ही सचेत होकर चलना है। मैं यह मानता था कि हर बड़ी दूकान पीछे एक व्यक्ति कानूनके निर्वाहके लिए अनुमतिपत्र लेकर बैठ सकता है। लेकिन गम्भीरतापूर्वक विचार करनेपर देखता हूँ कि एक व्यक्ति व्यापार कर सकेगा, ऐसी आशा करना दुराशा-मात्र है। इसलिए मुझे कह देना चाहिए, आवश्यक हो तो व्यापारियोंके लिए व्यापारका लालच छोड़ देना ठीक होगा। देशके लिए, अपने आत्मसम्मानके लिए, व्यापारको छोड़ देनेके लिए तत्पर रहनेसे ऐन वक्तपर घबराहट नहीं होगी। इसके अलावा व्यापारके लिए भी अँगुलियों की निशानी देकर कैदी बनना ठीक नहीं मालूम होता। सुन्दर और एकमात्र रास्ता यही है कि खुदापर पूरा भरोसा रखकर देश-हितमें सब-कुछ कुर्बान कर दिया जाये। विजयके लिए हममें इतना निर्मल साहस होना चाहिए।

प्रिटोरियाके लिए अवसर

गुलामीका पट्टा देना पहले प्रिटोरियामें शुरू हुआ है। इसलिए प्रिटोरियापर बड़ी जिम्मेदारी आ पड़ी है। साथ ही बहादुरी दिखानेका अवसर भी उसके हाथ आया है। सारे भारतीय यही चाहते और खुदासे यही प्रार्थना करते हैं कि प्रिटोरिया वही करे जो उसे शोभा दे।

‘डेली मेल’ की टीका

पिछले शुक्रवारको [रैड] 'डेली मेल'के एक संवाददाताने श्री गांधीसे मिलकर कुछ जानकारी प्राप्त की। श्री गांधीने बताया कि कमसे-कम ६,००० भारतीय तो निश्चय जेल जायेंगे। भारतीय समाजने खुदाकी शपथ ली है। उससे वह विमुख नहीं हो सकता। कानूनका विरोध करने में बेवफाई नहीं होगी। कानूनका विरोध करके भारतीय समाज केवल अपनी टेक व

[१] देखिए" भेट: 'रेड डेली मेल' को", पृष्ठ ६०-६१।

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