वे प्रिटोरिया जाकर यह देख आयें कि कितनी तेजीसे काम किया जा रहा है। अनुमतिपत्रकार्यालयका बहिष्कार यदि ठीक तरहसे किया जा सके तो बादकी लड़ाई बहुत आसान हो सकती है।
व्यापारियोंको सलाह
मैंने सुना है कि कुछ व्यापारियोंने, जो विलायत वगैरह जगहोंसे माल मँगवाते हैं, नये कानूनके कारण माल मँगवाना बन्द कर दिया है। वे लोग धन्यवादके पात्र हैं। जान पड़ता है, उन्होंने जेलका कष्ट झेलनेकी पूरी तैयारी कर ली है। मुझे लगता है कि इस प्रकार यदि हर व्यापारी अपने लेनदारको लिख भेजे या तार भेज दे तो बहुत लाभ हो सकता है। एक तो यह होगा कि स्वयं व्यापारीमें बहुत हिम्मत आ जायेगी और, दूसरे, यूरोपके व्यापारी डरकर स्वयं भी हमारे लिए काम करने लग जायेंगे। यह सब काम वही व्यापारी कर सकेंगे जिनपर देशप्रेमका रंग चढ़ा हो, जिन्हें खूनी कानूनसे होनेवाले नुकसानकी पूरी कल्पना हो गई हो तथा जिन्हें खुदापर पूरा भरोसा हो।
प्रवासी विधेयक
इस विधेयकके सम्बन्धमें श्री गांधीने 'स्टार' में यह पत्र लिखा है:
फेरीवालोंके लिए
कानून फेरीवालोंके जिन नियमोंके सम्बन्धमें मैं पहले लिख चुका हूँ, वे पास हो चुके हैं। अत: जर्माना किया जानेके पहले जोहानिसबर्गके फेरीवालोंको चेत जाना चाहिए। पिछले अंकोंमें उन नियमोंको देख लिया जाये।
भारतीयकी गिरफ्तारी
पॉचेफ्स्ट्रमसे तार द्वारा समाचार मिला है कि वहाँके हाजी उमरको, उनपर धोखेबाजी और दूकानमें आग लगानेका इलजाम लगाकर, गिरफ्तार कर लिया गया है। उनकी जमानत १,५०० पौंड ठहराई गई है।
खूनी कानूनके सम्बन्धमें विशेष समाचार
‘रैंड डेली मेल’ तथा ‘लीडर’ में बड़े-बड़े लेख आने लगे हैं। उनमें बताया गया है कि जोहानिसबर्गके भारतीय दबाव डालते हैं, इसलिए प्रिटोरियामें कोई पंजीयन नहीं करवाता। उन अखबारवालोंने यह भी कहा है कि जुलाईके अन्तिम दिनोंमें सब जाकर छाप लगा आयेंगे। हमें आशा है कि प्रिटोरियाके भारतीय दृढ़ रहकर इस इलजामको झूठा साबित कर देंगे। यदि अन्तिम दिनोंमें लोग टिड्डीके समान प्रिटोरियाके दफ्तरपर टूट पड़े तो सब किया-कराया धूलमें मिल जायेगा।
इसपर विचार
भारतीय समाजको इस समय बहुत ही सावधान रहना चाहिए। बहुत जगहोंसे मैं यह भी सुनता हूँ कि नेताओंके गिरफ्तार होते ही लोग डरके मारे पंजीयन करवा लेंगे।
[१] इसके बाद गांधीजीने पत्रका गुजराती अनुवाद दिया है जो यहाँ नहीं दिया जा रहा है। मूलके लिए, देखिए " पत्र: 'स्टार' को", पृष्ठ ७०-७१।
- ↑ १.