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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
(च) जिनके बारेमें विलायत या दूसरी जगहोंसे सूचना मिली हो कि वे खतरनाक लोग हैं;
(छ) जिन्हें सरकार राज्यको नुकसान पहुँचानेवाले मानती है।
(ज) जिन्हें उपर्युक्त मर्यादाओके अनुसार प्रवेश करनेका हक हो उनकी पत्नी तथा बच्चोंपर यह विधेयक लागू नहीं होगा। इसी प्रकार काफिरों और यूरोपीय मजदूरोंपर भी।
(३) इस कानूनको अमलमें लानेके लिए प्रवासी-कार्यालय खोला जायेगा।
(४) इस कानूनको [दक्षिण आफ्रिकामें] अमल में लाने के लिए गवर्नर दूसरे उपनिवेशोंके साथ इकरार कर सकेगा।
(५) यदि कोई प्रतिबन्धित व्यक्ति प्रवेश करेगा तो उसपर १०० पौंड जुर्माना किया जायेगा अथवा ६ महीनेकी सजा दी जायेगी और निर्वासित किया जायेगा।
(६) जो [१९०३ की] भडुवाईकी धाराके अन्तर्गत अपराध करेगा अथवा जो राज्यकी शान्ति भंग करनेवाला समझा जायेगा, उसे भी निर्वासित करनेका सरकारको अधिकार है।
(७) जो व्यक्ति प्रतिबन्धित व्यक्तिको प्रवेश करने में मदद करेगा उसे १०० पौंड दण्ड अथवा ६ महीनेकी जेलका हुक्म दिया जायेगा।
(८) प्रतिबन्धित व्यक्तिको परवाना या पटेपर जमीन लेनेका हक न होगा।
(९) प्रतिबन्धित व्यक्तिके सम्बन्धमें जानकारी मिलनेपर उसे बिना वारंट पकड़ा जा सकेगा।
(१०) इस कानुनकी अनभिज्ञता बचाव नहीं मानी जायेगी।

(११) जिस व्यक्तिको सीमा-पार करना पड़े, उसे निकालनेका खर्च, उसकी उपनिवेशमें जो जायदाद होगी, उसमें से वसूल किया जायेगा।

(१२) होटलमें जो लोग आते है, होटल-मालिकको उन सबका नाम, देश, पता वगैरह दर्ज करना होगा। उस पुस्तिकाकी जाँच करनेका सरकारको हक है।
(१३) यदि किसी व्यक्तिपर प्रतिबन्ध नहीं है तो इसे सिद्ध करनेका दायित्व उस व्यक्तिपर है।
(१४) हर मजिस्ट्रेटको सारी सजाएँ देनेका हक है।

विधेयकका अर्थ

यह विधेयक बड़ा भयंकर है। इससे बड़ी सरकार धोखा खा सकती है। सरसरी तौरसे देखनेपर इसमें कुछ भी नहीं दिखाई देता, किन्तु भीतर जहरके समान है। इसके द्वारा अनुमतिपत्र-रहित निराश्रितका हक बिलकुल समाप्त हो जाता है। जिनके पास अनुमतिपत्र हैं किन्तु नये कानूनके अनुसार जिन्होंने बदलवाये नहीं हैं, यदि वे लोग ट्रान्सवालसे बाहर जाते हैं तो उन्हें भी वापस आनेका अधिकार नहीं रहता।

पढ़े-लिखे भारतीयोंको एक ओरसे अधिकार मिलता है किन्तु दूसरी ओरसे छिन जाता है। क्योंकि शिक्षणके आधारपर प्रवेश करनेवालोंको खनी काननके अनसार आठ दिनके अन्दर अँगुलियाँ आदि लगाकर अनुमतिपत्र ले लेना चाहिए। यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें निर्वासित कर दिया जायेगा।

अतः इस कानूनसे भारतीयोंको जरा भी लाभ होना सम्भव नहीं है।