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७०. जोहानिसबर्गको चिट्ठी

सोमवार [जुलाई १५, १९०७]

प्रिटोरियाकी टेक

अभी प्रिटोरियाका जोश कायम है। उसकी टेक निभ रही है। दूसरा सप्ताह सकुशल बीत रहा है। कोड़ी साहबको दूसरे सप्ताह भी "छुट्टी" मिली और बहादुर धरनेदारों—स्वयंसेवकोंने अपना नाम उज्ज्वल कर दिया। गोरे दाँतों-तले अंगुली दबाये हैं और परेशान है कि "यह क्या है? क्या हमारी ठोकरें खानेवाले भारतीय मूंछोंपर ताव दे सकेंगे?" कोई-कोई अंग्रेज औरतें सब्जीके फेरीवालोंसे पूछती है कि क्या वे अनुमतिपत्र लेंगे। बहादुर फेरीवाले साफ इनकार करते हैं। यदि यही जोश अन्ततक रहा तो भारतीय समाजका नाम ऊँचा चढ़ जायेगा और नया कानून धूलमें लोटने लगेगा। और इसका श्रेय प्रिटोरियाके भारतीयों और उनके धरनेदार स्वयंसेवकोंको है, यह बात सब एक स्वरसे कह सकेंगे।

गोरेकी शरारत

मैंने सुना है कि श्री स्टीफेन फेज़रका एक आदमी विशेष तौरसे गाँव-गाँव घूम रहा है। वह प्रत्येक भारतीयको भड़काता है। पीटर्सवर्गके भारतीयोंको उसने इस तरह डराया है कि यदि भारतीय समाज श्री गांधीकी सलाह मानेगा और इस तरह कानूनके सामने नहीं झुकेगा तो वह बरबाद हो जायेगा, और उसका माल सरकार जब्त कर लेगी। जैसे-जैसे आखिरी दिन निकट आयेगा वैसे-वैसे शत्रुओं या स्वार्थी गोरों द्वारा निस्सन्देह ऐसे षड्यन्त्र रचे जायेंगे। मुझे कहना चाहिए कि ऐसे व्यक्तिको झिड़क देना हर भारतीयका कर्तव्य है। अभी जनानी सीख सूननेका भी समय किसी भारतीयको नहीं है। सरकार माल जब्त कर लेगी, यह सरासर झूठ है। माल जब्त करनेका अधिकार उसे बिलकुल नहीं है। और बरवाद होनेके बारेमें तो हम जानते हैं कि हाजी हबीबनं 'स्टार'को वैसी सूचना दे दी है। बात यह है कि बरबाद भले हो जायें, हमारी नाक बनी रहेगी और हम टेकवाले कहलायेंगे। अतः हम कानूनका विरोध श्री गांधीकी सलाह मानकर करते हैं सो बात नहीं, हम तो अपनी मर्दानगीकी रक्षाके हेतु विरोध कर रहे हैं। यदि हम मर्द होंगे तो जहाँ ठोकर मारेंगे वहाँ पैसा निकलेगा। किन्तु यदि मर्द होते हुए भी औरत बन गये तो बचे-खुचे धनको भी बचाना मुश्किल होगा और वह धन भी खाने दौड़ेगा। इंग्लैंडका पुराना राजा तीसरा रिचर्ड अपने सम्बन्धियोंको मारकर गद्दीपर बैठा था। किन्तु उससे गद्दीको पचाया नहीं जा सका। सम्बन्धियोंके खूनमें सनी तलवारको हाथमें पकड़ते हुए वह कांपता था और आखिर घुल-घुलकर बुरी मौत मरा। ऐसा कौन भारतीय है जो अपने भाईकी बेइज्जतीकी परवाह न करके पैसेके लोभमें सबका काम बिगाड़ेगा? ऐसा व्यक्ति रिचर्ड के समान घुल-घुलकर पश्चात्तापमें ही मर जायेगा। एसे नाजक समयमें गोरा मुहँ लेकर और काला दिल रखकर यदि कोई सलाह दे तो मैं चाहता कि भारतीय कौम उसे ठुकरा दे।