पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/१३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०१
जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

दो अन्य गोरे

श्री स्टीफेन फ्रेजरके आदमियोंने उपर्युक्त नालायकीकी बात कही है तो दूसरे दो गोरे, जिनका भारतीयोंके साथ बड़ा व्यापार है, सीधी बात करते हैं और स्वीकार करते हैं कि भारतीय समाजको प्रतिष्ठाकी खातिर तो जेलके निर्णयपर अटल रहना ही चाहिए। यदि सभी उसपर अटल रहें तो निस्सन्देह जीत होगी। कोई कहेगा कि इसमें “यदि” शब्द बहुत महत्त्वपूर्ण है। किन्तु "यदि" शब्द महत्त्वपूर्ण केवल कायरोंको मालूम होगा। बहादुर तो दूसरोंको भी बहादुर मानकर यही कहेंगे कि इस बार भारतीय समाज निश्चय ही अपनी टेक निभायेगा।

जोहानिसबर्गमें सभा

हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके सभा-भवनमें पिछले रविवारको एक बहुत बड़ी सभा हुई थी। सभाका समय २-३० बजेका था। किन्तु उसके पहले ही भवन खचाखच भर गया था। जो भीतर न आ सके, वे लोग बाहर थे। जमिस्टनके भी बहुत लोग आये थे। हाफिज़ अब्दुल सैयद अध्यक्ष पदपर आसीन थे। श्री फैन्सी द्वारा कार्य-विवरण पढ़ा जानेके बाद श्री गांधीने खूनी कानूनकी बातें समझाई। और बादमें जमिस्टनके श्री रामसुन्दर पण्डितने एक सुन्दर और जोशीला भाषण दिया। उन्होंने कहा कि जमिस्टनमें लोगोंमें बहत ही जोश है। और स्वयंसेवक भी तैयार हैं। जैसा प्रिटोरियाने कर दिखाया है, वैसा ही जमिस्टन करेगा। प्रिटोरियामें स्वयंसेवकोंने बहुत ही स्वदेशाभिमान व्यक्त किया है। इमाम अब्दुल दिरने कहा कि इस कानूनको कोई भी एशियाई स्वीकार नहीं कर सकता।

प्रिटोरियाकी

जिस जशिका दर्शन हआ था, उसका उन्होंने वर्णन भी स्वयं सनाया। श्री नवाब खाँने कहा कि नया कानून छोटे या बड़े किसी भी भारतीय द्वारा मंजूर नहीं किया जा सकता। विलायतकी औरतोंमें जब इतना जोश है तब भारतीय मर्द क्या जेल या किसी नुकसानसे डर सकता है? श्री अब्दुर्रहमानने कहा कि पॉचेफ्स्ट्रमके भारतीय बहुत ही सतर्क हैं। स्टीफेन फ्रेज़रके आदमीने मुझसे कहा कि स्टीफेन माल तभी उधार देंगे जब मैं कानून स्वीकार करनेका वचन दूंगा। इसके उत्तरमें मैंने स्वयं कहा कि हजार स्टीफेन फ्रेज़र भी माल उधार देना बन्द कर देंगे, तब भी मैं कानूनकी गुलामी मंजूर नहीं करूंगा। पाँचेफ्स्ट्रमके व्यापारी चाहे जितना नुकसान सहन करेंगे, किन्तु इस जुल्मी कानूनके सामने नहीं झुकेंगे।

श्री उमरजीने बहुत ही जोशीला भाषण दिया और “सतिया सत नव छोडिए" वाला दोहा सुनाया। फिर श्री शहाबुद्दीन और श्री कामाने कुछ प्रश्न पूछे और सभा समाप्त हुई। इस सभामें एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं दिखाई दिया जिसके मनमें कानूनको स्वीकार करनेकी जरा भी इच्छा हो। इस सभामें श्री पोलकने भी भाषण दिया, जिसमें प्रिटोरियाके जिस स्वयंसेवकको उन्होंने स्वयं देखा था उसकी तारीफ की।

हुजूरियोंकी सभा

श्री डेविड अर्नेस्टने ट्रान्सवाल फुटवाल संघके सदस्योंकी बैठक एबनेज़र विद्यालयमें बुलाई थी। उसमें लगभग ५० हुजूरिये उपस्थित हुए थे। वह बैठक सोमवारकी शामको

[१] पूरा दोहा इस प्रकार है:

सतिया सतनव छोडिये सत छोड़े पत जाय।
सतकी बाँधी लक्षमी फेर मिलेगी आय॥

  1. १.