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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/१४६

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

३.प्रार्थी संघ जहाँ प्रवासपर प्रतिबन्ध लगानेके सिद्धान्तको पुष्टि करता है, वहाँ माननीय सदनका ध्यान सादर निम्न बातोंको ओर आकर्षित करता है:

(क) विधेयक एशियाई कानून संशोधन अधिनयमको स्थायित्व प्रदान करता है।
(ख)उसमें किसी भी प्रमुख भारतीय भाषाको मान्यता नहीं दी गई है।
(ग) उससे उन ब्रिटिश भारतीयोंके अधिकार समाप्त हो जाते हैं, जिन्होंने गत यद्धसे पूर्व ट्रान्सवालमें अधिवासका अधिकार प्राप्त करने के लिए तीन पौंड दिये थे और जिनको, शरणार्थी होने के कारण, शान्ति-रक्षा अध्यादेशके अन्तर्गत अनुमतिपत्र नहीं मिले हैं।
(घ) उसकी धारा २ को उपधारा घ के द्वारा, वे भारतीय भी, जो शिक्षा सम्बन्धी परीक्षा पास कर लें और अन्यथा वर्जित न हों, एशियाई कानून संशोधन अधिनियमके अन्तर्गत आ जाते है। (सादर निवेदन है कि शिक्षा-सम्बन्धी योग्यता प्राप्त भारतीयोंको आगे शिनाख्तकी आवश्यकता नहीं रहती।)

४. प्रार्थी संघ सविनय निवेदन करता है कि ऊपर गिनाई गई आपत्तियाँ माननीय सदनके लिए विचारणीय हैं।

५. प्रार्थी संघ माननीय सदनको सादर स्मरण दिलाता है कि जिन समुदायोंका इस उपनिवेशकी संसदमें प्रतिनिधित्व नहीं है उनके हितोंकी रक्षा करना उसका विशिष्ट कर्तव्य है और प्रार्थी संघ एक ऐसे ही समुदायका प्रतिनिधित्व करता है।

६. प्रार्थी संघ इसी कारण सादर प्रार्थना करता है कि माननीय सदन जितनी सहायता उचित समझे उतनी दे। और इस कार्य के लिए हम कृतज्ञ होंगे, आदि, आदि।

[आपका आदि,
ईसप इस्माइल मियाँ]
कार्यवाहक अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: सो० ओ० २९१/१२२