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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/१५३

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खुदाई कानून

अपने पीछे आनेवालेको सुख देता है। बच्चा पैदा होनेके पहले माँ असह्य दुःख भोगती है और उस दुःखको भोगने में ही वह सुख मानती है। माँ और बाप दोनों बच्चे के लालन-पालनमें कष्ट सहते है। जहाँ-जहाँ कौमें और प्रजाएँ बसी है वहाँ-वहाँ उस-उस प्रजा तथा उस-उस कौमके लोगोंने प्रजा-हितमें दुःख सहन किये हैं। बुद्ध, ईसाके ६०० वर्ष पूर्व, जंगल-जंगल भटके, उन्होंने सर्दी-गर्मीकी परवाह नहीं की, दुःख उठाया और ज्ञान प्राप्त करके लोक-कल्याण किया। १९०० वर्ष पहले ईसा मसीहने ईसाई समाजकी मान्यताके अनुसार अपना जीवन लोगोंको समर्पित करके बहुतसे अपमान और अन्य दुःख सहन किये। मुहम्मद पैगम्बरले बहुत दुःख झेले। लोग उनकी जान लेनेको भी तैयार हो गये थे। उसकी उन्होंने परवाह नहीं की। इन सब महान और पवित्र पुरुषोंने खुदाई कानूनके सामने झुककर मनुष्य समाजको सुख पहुँचाया। उन्होंने अपना स्वार्थ नहीं देखा, बल्कि दूसरोंके सुखमें अपना सुख माना।

राजनीतिक मामलोंमें भी यही होता है। हैम्डन, टाइलर, क्रॉमवेल वगैरह अंग्रेज बैंडकी प्रजाके लिए अपना सर्वस्व बलिदान करनेको तैयार हए। उनकी सम्पत्ति लटी, उनकी जान खतरेमें पड़ी उसकी उन्होंने परवाह नहीं की। इसीलिए अंग्रेज प्रजा आज इतने बड़े साम्राज्यपर राज्य कर रही है। ट्रान्सवालके शासनकर्ता राज्य भोग रहे हैं, क्योंकि उन्होंने हमारे देखते-देखते बहुत दुःख उठाये हैं। मैजिनी अपने देश इटली के लिए निर्वासित हुआ। आज वह पूज्य है। वह इटलीका राष्ट्रनिर्माता माना जाता है। जॉर्ज वाशिंगटनने अपार मुसीबतें उठाकर अमेरिकाका निर्माण किया। इससे भी यही सिद्ध होता है कि सुखके पहले बिना दुःख भोगे काम नहीं चलता। लोक-कल्याणके लिए मनुष्यको आजीवन दुःख भोगना पड़ता है।

और आगे चलें। अपनी टेक छोड़ना और हमें जो मर्दानगीका गुण दिया गया है उसे छोड़ना, भी पाप है। यूसुफ अबेसलाम व्यभिचारसे बचनेके लिए जेल गया। इमाम हसन और हुसैनने यजीदकी सत्ता स्वीकार नहीं की, क्योंकि उसमें अधर्म था। अपनी टेक रखनेके लिए वे शहीद हुए। अपनी टेक रखनेके लिए भक्त प्रह्लादने धधकते हुए खम्भेको हिम्मतके साथ पकड़ा था। बालक सुधन्वा खौलती हुई कढ़ाईमें बिना विचार किये लपककर कूद पड़ा था। सत्यके लिए हरिश्चन्द्र नीचके घर बिका था। उसने राजपाट छोड़ा और स्त्री-पुत्रका वियोग सहन किया। पिताके वचनके लिए रामचन्द्रने बनवास भोगा। और हकके लिए पाण्डव चौदह वर्ष तक राजपाट छोड़कर बनमें भटके।

आज ट्रान्सवालमें ऐसे ही महान खुदाई कानूनको पालनेकी जिम्मेदारी भारतीय समाजके सिर आई है। यह समझकर हम अपने भाइयोंको बधाई देते हैं। उनके हाथमें सारे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजको मुक्त करनेका अवसर आया है। ऐसा महान सुख महान दुःख भोगे बिना कैसे मिल सकता है? हमारी अर्जी अब मानव-समाजके पास नहीं, खदाके -ईश्वरके-पास है। वह चौबीस घंटे सारी बातें सुनता है। अर्जी सुननेके लिए हमें उससे समय नहीं मांगना है, न कभी माँगना ही पड़ता है। वह सबकी अर्जी एक साथ सुनता है। उसीपर भरोसा रखकर, निडर होकर, उसीका नाम-स्मरण

[] ये अलीके पुत्र थे जो पैगम्बरकी पुत्री फातिमासे उत्पन्न हुए थे।

[] खलीफा, ६८०-८३। हुसैनने इसके खिलाफ बगावत की थी, किन्तु वे कर्बलामें पराजित हुप और मारे गये।

[] तेरह।

  1. १-२.
  2. ३.
  3. ४.