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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

तथा उनके निर्वाचक इसकी परवाह नहीं करते। डीमिट्रिअस पलेशिन नामक एक सदस्य सरदार घरानेके हैं। उन्होंने दो वर्ष जेलकी सजा भोगी है। ऐसे हम अनेक नाम दे सकते हैं। किन्तु पाठकोंके लिए उपर्युक्त नाम काफी है। इतना और याद रखना है कि रूसकी जेलें सचमुचमें कारागृह हैं। उनमें कोई सुविधा नहीं होती। इसके अलावा रूसमें सर्दी बहुत ही सख्त होती है। जेलर बड़े दुष्ट होते हैं। किन्तु ये बहादुर लोग जनताकी भलाई के लिए सब कष्ट सहते हैं। सर्दी-गर्मीकी परवाह नहीं करते। उनके सम्राट खुश होंगे या नाराज इसकी परवाह नहीं करते। किन्तु जिसमें उन्हें अपने देशका कल्याण दिखाई देता है उसे बेधड़क किये जाते हैं। इतना होनेपर भी रूसी लोगोंको स्वतन्त्रता नहीं मिली, इससे वे घबड़ाते नहीं हैं। अपना कर्तव्य पूरा करते जा रहे हैं; और वह भी इस भावनासे कि आखिर वे नहीं भोग सके तो उनके बादमें आनेवाली पीढ़ी उनके कष्टोंके लाभ भोगेगी और रूस स्वतन्त्र होगा।

ऐसे बलवान स्वदेशाभिमानी पुरुषोंके उदाहरण सामने रखकर, खुदाकी ओर मुंह करके उसके नामको निरन्तर अपने मनमें स्मरण करते हुए, ट्रान्सवालके भारतीय खूनी कानूनरूपी वैतरणीको पार कर जायेंगे, यह हमारी कामना है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २७-७-१९०७

९५. जोहानिसबर्गको चिट्ठी

खूनी कानून

इस अंकके प्रकाशित होते समय जुलाईके चार दिन बाकी रहेंगे। इसके बादके अंकके लिए इस आशयके तार फीनिक्स भेजनेकी आशा करता हूँ कि नये पंजीयनपत्र न लेने के कारण सरकारने भारतीयोंको पकड़ना शुरू कर दिया है। किन्तु यह मानना गलत न होगा कि जैसे मैं आशा कर रहा हूँ वैसे कुछ लोग डर भी रहे होंगे।

प्रिटोरियासे प्रार्थना

इस बीच प्रिटोरियाके भाइयोंसे मैं विनती करता हूँ कि अबतक आपने अपनी और भारतीय कौमकी इज्जत रखी है, ऐसे ही अन्ततक रखिए। मुझे विश्वास है कि प्रिटोरियामें एक भी ऐसा भारतीय नहीं निकलेगा जो आखिरी दिन अनुमतिपत्र-कार्यालय रूपो नरकसे कलंकित होकर आयेगा। वहाँ कलंकके सिवा और कुछ नहीं मिलना है। इसे ठीक मानकर मैं समझता हूँ कि कोई वहाँ स्वप्न में भी जानेका विचार नहीं करेगा।

आगे क्या होगा?


इस प्रश्नका मैं भिन्नभिन्न अवसरोंपर उत्तर दे चुका हूँ। किन्तु फिर भी देना ठोक समझता हूँ। जुलाईमें जो बहादुरी दिखाई गई वह एक प्रकारको है। अगस्तको बहादुरी दूसरे प्रकारकी है। जुलाईमें हमें घर सँभालकर बैठनेकी हिम्मत दिखानी थी। अगस्तमें हमें पकड़कर जब न्यायाधीशके पास ले जायेंगे तब हिम्मतसे जवाब देना है। अदालतका

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