नाम आते ही हम डरते हैं। हमें अदालतमें खड़ा किया जायेगा तब क्या होगा? उस समय हिम्मत रखना अधिक मुश्किल है, फिर भी बिलकुल आवश्यक है।
पुलिस पकड़ेगी
पहले तो पहली अगस्तको किसी एकको अथवा सभी भारतीयोंको नये पंजीयनके लिए अर्जी न देनेके अपराधमें गिरफ्तार कर सकते हैं, तभी अपनी टेकका पता चल जायेगा।
जमानत न दी जाये
इस बार सभी भारतीयोंको याद रखना है कि गिरफ्तार किये जानेवालोंको जमानत देकर नहीं छूटना है, न किसी को छुड़वाना है। जेल-महलकी तालीम यहींसे शुरू होगी। पकड़े गये भारतीयको उसी दिन या दूसरे दिन मजिस्ट्रेटके पास ले जाया जायेगा।
बचावका प्रश्न
सम्भावना यह है कि पंजीयनकी अर्जी न देने के सम्बन्धमें उसपर मुकदमा चलाया जायेगा। उस वक्त यदि वह व्यक्ति सच्चा अनुमतिपत्रवाला होगा या लड़का होगा, जिसे अनुमतिपत्रकी जरूरत नहीं होती, तो ऐसे व्यक्तिका श्री गांधी बिना शुल्कके बचाव करेंगे। वे तथा श्री ईसप मियाँ बयान देंगे कि भारतीय कौम शपथ और प्रस्तावके कारण नये कानूनके सामने न झुकनेके लिए बंधी हुई है। अभियुक्तने वह प्रस्ताव स्वीकार किया है। और यदि किसीको सजा दी जानी चाहिए तो वह पहले संघके पदाधिकारियोंको दी जानी। चाहिए। बादमें यदि अभियुक्तके लिए बयान देना आवश्यक हुआ तो उसे कहना है कि नया पंजीयन करवानेका उसका इरादा नहीं है, वह सिर्फ इसलिए नहीं कि उसे कौमके प्रस्तावका आदर करना है, बल्कि इसलिए कि उसे खुदको कानून पसन्द नहीं है और इसलिए नया पंजीयनपत्र लेनेका इरादा नहीं है, किन्तु यदि सरकार जेल भेजेगी तो वह जेल जायेगा। जुर्माना भी वह नहीं देगा।
बचावका नतीजा
उपर्युक्त बचाव किया जानेके कारण शायद ईसप मियाँ तथा श्री गांधीको पहले पकड़ा जाये और अभियुक्त छूट जाये। किन्तु यदि ऐसा न हो तो अदालत निश्चय ही अभियुक्तको सजा देगी। अदालतको जुर्माना करनेका अधिकार है। अतः शायद वह जुर्माना करे, और जुर्माना न देनेपर वह जेलमें भेजा जाये।
जुर्माना न दिया जाये
यह बिलकुल याद रखना चाहिए कि इस बार जुर्माना न देकर जेल जाना है। मेरी सलाह है कि कोई भी भारतीय पहली अगस्तसे अपनी जेबमें, जहाँतक सम्भव हो, पैसे न रखे और सोना तो कभी न रखे। लालच बुरी चीज है। जेलकी आदत न होनेके कारण जुर्मानेकी आवाज सुनकर अभियुक्तके हाथ अनजाने जेबमें चले जायेंगे और उसकी नजर अपने दोस्तोंपर पड़ेगी। ऐसा हो तब भारतीयको मनमें तत्काल खुदासे माफी मांगकर सावधान हो जाना चाहिए और जेबमें से हाथ निकालकर गला साफ करके कहना चाहिए कि मुझे जुर्माना नहीं देना है। मैं कारावास भोगूंगा। साथमें यह भी याद रखा जाये कि विलायतकी