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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/१६१

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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

बूढ़ी और जवान औरतोंने आधे क्राउनका' जुर्माना देनेसे इनकार करके अधिकारके लिए कारावास पसन्द किया है।

दूसरे क्या करें?

हम सामान्यतः मान लें कि सारे भारतीयोंको एक साथ तो पकड़ा ही नहीं जायेगा। अतः जेलके बाहर रहनेवाले क्या करें? इसका उत्तर सरल है। जो भाई हिम्मत करके जेल गया है उसे बधाई दें, उसके सगे-सम्बन्धियोंकी मदद करें और स्वयं डरकर पंजीयन लेनेके लिए जाने के बजाय यह प्रार्थना करें कि दूसरी बार जेल जानेका सौभाग्य उन्हें प्राप्त हो।

श्री गांधीको ही पहले पकड़ा जाये तो?

ऐसा हो तो बचाव करनेका कोई काम नहीं रहता। उनपर मुकदमा चलेगा तब साफ हो जायेगा। और यदि उनके जेल जानेके बाद अथवा निर्वासित किये जाने के बाद भारतीय समाज काननका विरोध करनेवाले प्रस्तावपर डटा रहेगा तो तरन्त ही नतीजा सामने आयेगा। चाहे जिस व्यक्तिको जेल हो, चाहे जिसका निर्वासन हो, भारतीय समाज दृढ़ बना रहेगा तभी आजतक की लड़ाईकी शान रहेगी।

यदि पंजीयन पत्र लिये गये तो?

किन्तु यदि भारतीय समाज डरकर पंजीयन-पत्र ले लेगा अथवा जुर्माना देकर जेलसे बच जायेगा तो आजतक की लड़ाईपर पानी फिर जायेगा। यह निश्चय हो जायेगा कि हमारा साहस मिथ्या था। और माना जायेगा कि नेता लोग केवल भड़कानेका काम करते थे। आजतक जो चमक-दमक दिखाई दे रही थी वह ऊपरी कलई थी। वह कलई खुल जायेगी और जाहिर हो जायेगा कि हम सच्चा सोना नहीं, बल्कि ताँबा है और हमारी कीमत पाईके बराबर हो जायेगी।

सरकारके दूसरे हथियार

मैं ऊपर कह चुका हूँ कि सरकार यह इलजाम लगानेके बजाय कि नये पंजीयनके लिए अर्जी नहीं दी, दूसरे कदम भी उठा सकती है। जैसे मौजूदा अनुमतिपत्र व पंजीयनपत्र तो सबके रद हो गये हैं। इसलिए उनपर बिना अनमतिपत्रके रहनेका आरोप लगाया जा सकता है। यदि यह आरोप लगाया जाये तो, जेसा मने पहलेके पत्रोंमें कहा है, पहला मुकदमा चलते समय अभियुक्तको अमुक समयमें देश छोड़नेकी सूचना मिलेगी। उस अवधिमें यदि देश न छोड़े तो उसे कमसे-कम एक महीनेकी सजा हो सकती है। इस प्रकार मुकदमा चले तब भी बचाव' तो ऊपर लिखे अनुसार ही किया जायेगा। ऐसे मुकदमेकी सूचना मिलनेपर किसीको चले नहीं जाना है, बल्कि सूचनाकी अवधि पूरी करके गिरफ्तार होकर जेल जाना है।

क्या व्यापारी डरें?

इसमें बड़े व्यापारियोंको डरना नहीं है। एक ही दूकानके सभी व्यक्तियोंका एक साथ पकड़ा जाना सम्भव नहीं है। दूकानें लुटवा दी जायें सो भी नहीं होगा। अधिकसे

१. ढाई शिलिंग।