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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/१६२

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अधिक नुकसान यही होगा कि कुछ दिन दुकान बन्द रहेगी। इसके अलावा और कुछ भी होना सम्भव नहीं। किन्तु सब व्यापारी अपना स्टॉक वगैरह ले रखें, इसमें बुद्धिमानी मानी जायेगी। इसका उद्देश्य केवल इतना ही कि लेनदार व्यापारी अधीर हो तो उनका हिसाब तुरन्त साफ किया जा सके।

मण्डलोंका कर्तव्य

इस बार ट्रान्सवाल तथा ट्रान्सवालके बाहरके मण्डल, जैसे संघ, कांग्रेस, वगैरहका कर्तव्य है कि सार्वजनिक तौरसे फिरसे सहानुभूतिके प्रस्ताव पास करें, गिरफ्तारशुदा व्यक्तिके पीछे रहनेवाले लोगोंकी सार-सँभाल करनके लिए पैसे भेजें, और देश-परदेशमें यथासम्भव इस आन्दोलनको चर्चा करें।

'संडे टाइम्स' का प्रश्न

'संडे टाइम्स' के सम्पादकने कानूनपर टीका करते हुए पूछा है कि जिन लोगोंने अगस्त महीनेमें नया पंजीयनपत्र न लिया हो उन्हें जेलमें बन्द करने के लिए सरकार क्या व्यवस्था करना चाहती है? क्या नये जेलखाने बनायेगी? यह प्रश्न मजाकके रूपमें पूछा गया है। किन्तु इससे यह भी प्रकट होता है कि वे भारतीय समाजके आन्दोलनसे घबड़ा रहे हैं।

मिडेलबर्गके

भारतीय मिडेलबर्गकी भारतीय बस्तीको वहाँकी नगर-परिषदने फिरसे निकालनेका प्रस्ताव किया है। उसका यह इरादा है कि किसी एक भारतीयपर मुकदमा चलाकर देख लिया जाये कि नगर-परिषदको अधिकार है या नहीं।

चेतावनी

कुछ भारतीयोंके मनमें यह विचार है कि यदि एक भी भारतीय नया अनुमतिपत्र ले ले तो फिर दूसरेका रुकना कठिन है। ऐसे सोचनेवाले, साफ है, लड़ाईको नहीं समझते। एक आदमी कुऍमें गिरेगा या बुरा काम करेगा तो क्या उसके पीछे सारा समाज कुएँ में जा गिरेगा या बुरा काम करने लगेगा? यदि ऐसा नहीं करेगा तो फिर नया कानून, जोकि बुरा है, भौंडा है, कुएंसे ज्यादा भयानक है, उसमें कैसे गिरा जा सकता है? इसके अलावा, यह मान लेना कि एक भी भारतीय गुलाम नहीं बनेगा, बहुत ही ज्यादा अपेक्षा रखना है। यदि भारतीय समाजमें इतना जोश हो तो आज दक्षिण आफ्रिकामें या दूसरी किसी भी जगह उसका हलका दर्जा क्यों होगा? इतना याद रखना चाहिए कि इस लड़ाईमें हर भारतीयको अपनी स्वतन्त्र बुद्धिका उपयोग करना है। एक-दूसरेके मुंहकी ओर नहीं देखना है। नया पंजीयनपत्र कोई लड्डू नहीं है जिसे यदि एक छू ले तो दूसरे उसपर टूट पड़ें। जबतक इस बातका ध्यान नहीं रखा जाता तबतक हमारी जीत कभी नहीं होगी। इसे अच्छी तरह लिख लें। मैं तो यह सलाह देता हूँ कि यदि कोई भारतीय अपनी नामर्दी या कमजोरी या अज्ञानके कारण नया पंजीयनपत्र बिना लिये न रह सके तो उसे अपनी उस कमजोरीको मंजूर करना चाहिए और दूसरेको वैसा न करनेकी सलाह देनी चाहिए तभी ठीक माना जायेगा।