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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सामने झुकनेमें जरा भी अपमान नहीं है यह समझकर यदि वे खुले आम गुलामीका पट्टा लेनेके लिए अर्जी देने जाते तो उन्हें कुछ भी नहीं कहा जा सकता था। किन्तु उन्होंने बहुत ही लज्जाजनक काम करनेकी बात सोची और इसीलिए चोरीसे रातको अनुमतिपत्र लेना चाहा। इससे सिद्ध होता है कि उन्हें अपने अपराधका पता था और इसलिए वे भारतीय समाजके प्रति अपराधी हैं। किन्तु जैसे उपर्युक्त भारतीय दोषी है वैसे ही और उससे भी ज्यादा दोषी अधिकारियोंको माना जा सकता है। लोगोंकी दूकानोंमें जाकर रातको चोरीसे अर्जी लेनेसे सिद्ध होता है कि वे लोगोंको नये कानूनके सामने झुकानेकी बहुत कोशिश कर रहे हैं। और यदि लोग न झुके, तो उन्हें डर है कि उनकी स्थितिको धक्का पहुँचेगा। यदि सरकार इस हद तक गिरती है और उससे यदि लोग लालच में फंसते हैं तो उसमें आश्चर्य ही कौनसा?

जलेयर नमक

इस प्रकार चोरीसे पंजीयन करनेका कारण यह बताया गया मालूम होता है कि भारतीय समितिने धमकी दी है कि जो लोग नये पंजीयन-पत्र लेंगे उन्हें नुकसान पहुँचाया जायेगा। यह इल्जाम सरासर झूठ है। दगाबाज लोगोंने पंजीयन-पत्र लेनके साथ ही अपनी निर्लज्जता ढाँकने के लिए सारे समाजपर यह गलत आरोप लगाया है, और असत्य गढ़ा है।

हाजी हबीबका पत्र

यह इल्जाम सहन करके बैठा नहीं जा सकता, इसलिए श्री हाजी हबीबने उपनिवेशसचिवके नाम निम्नानुसार पत्र लिखा है:

किन्तु बुरेमें से अच्छा

इस प्रकार विश्वासघात हुआ है फिर भी चूंकि भारतीय समाजकी लड़ाई सच्ची है, इसलिए जान पड़ता है कि उससे भला ही हुआ है। चोरीसे अनुमतिपत्र लेने में निर्दोष भावनासे जानेवाले एक अब्दुल करीम जमाल नामक भारतीय भी थे। उन्होंने भय तथा प्रलोभनके वशमें अनुमतिपत्रकी अर्जी दी थी। किन्तु चूंकि वे दगाबाज दलमें नहीं थे इसलिए उन्हें अर्जीमें झूठे तथ्य देनेके अपराधमें पकड़ लिया गया है। उन्हें १०० पौंडकी जमानतपर छोड़ा गया है। उनपर मुकदमा चलेगा। इससे सारा प्रिटोरिया आतंकित हो गया है। भारतीय समझ गये है कि नये कानूनके अन्तर्गत अनुमतिपत्रके लिए अर्जी देनेसे केवल यही डर नहीं है कि अनुमतिपत्र नहीं मिलेगा, बल्कि सच्चे कैदीकी जेल भोगनेका भी समय आ सकता है। श्री अब्दुल करीम जमालने अपराध किया या नहीं, यह बात अलग है। किन्तु इतना तो साफ है कि निरपराध लोगोको घसीटनम भी देर नहीं लगेगी। यह कानून इतना भयंकर है। और इस कानूनसे मुक्त रहने में ही प्रतिष्ठा और सुरक्षा है। यह मामला सबके लिए चेतावनी स्वरूप है। गुलामीका पट्टा लेनेके बाद भी कोई ट्रान्सवालमें रह ही सकेगा इस सम्बन्धमें कोई विश्वास नहीं दिला सकता।

[१] इसके नीचे पत्रका पाठ दिया गया है, देखिये पिछला शीर्षक।

  1. १.