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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/१७३

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१००. भेंट: 'रैड डेली मेल' को

[प्रिटोरिया
जुलाई ३१, १९०७]

यदि सरकार स्वेच्छया पंजीयनके लिए कुछ काल, उदाहरणार्थ दो मासका, देनेके लिए तैयार हो जाये तो भारतीयोंका बहुमत इन शर्तोको मान लेगा, यद्यपि अंगुलियोंके निशान देनेका तरीका फिर भी मुश्किल पैदा करेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि यह एक गम्भीर बाधा है, और उनकी राय थी कि भारतीयोंकी शर्ते तभी मानी जायेंगी जब वे, या उनमें से बहुतसे, अध्यादेशके अन्तर्गत कष्ट सहेंगे।

[अंग्रेजीसे]
रैड डेली मेल, १-८-१९०७

१०१. ट्रान्सवालकी लड़ाई

जुलाई महीना पूरा हो गया है। ट्रान्सवाल और शायद सारे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके इतिहास में यह सदैव महत्त्वपूर्ण समझा जायेगा। ३१ तारीखकी विराट सभा ऐसे महत्त्वपूर्ण महीनेके अन्तके लिये उचित पूर्णाहति रही। यह देखकर हमें प्रसन्नता हई है कि ट्रान्सवालके इस सम्मेलनने जिसमें हर जगहसे प्रतिनिधि आये थे, सर्वसम्मतिसे फिर उस अध्यादेशकी भर्त्सना की है। अर्थात् समूचा ट्रान्सवाल आज एक स्वरसे जेल, जेल और जेलके लिए तैयार खड़ा है, यद्यपि कुछ लोगोंने सारे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके भविष्यपर असर डालनेवाली इस लड़ाईके मल्यको भुलाकर समाजके साथ दगा किया है। यह कार्य भारी देशद्रोहके समान है, यद्यपि ऐसे लोगोंकी संख्या बहुत ही थोड़ी है, इसके अतिरिक्त उनमेंसे बहुतेरोको जो पछतावा और खेद हुआ है तथा एकाध हकदार व्यक्तिके अनुमतिपत्रको झूठा ठहरा कर उसकी जो दुर्दशा की गई है, हम आशा करेंग कि उससे सचेत होकर ट्रान्सवालमें हर जगह जो भी डगमगाता रहा हो, वह दृढ़ हो जायेगा। प्रिटोरियाने जो कर दिखाया उससे भी बढ़िया अब पीटर्सबर्ग और अन्य जिलोंको करके दिखानेका समय आया है। और यदि ऐसा कर दिखाया तो इस लड़ाईका परिणाम एक ही होगा, और वह है विजय। इस समय प्रिटोरियाके बहादुर भाइयोंसे हम इतना ही कहेंगे कि उन लोगोंने जुलाईमें जो कुछ करके दिखाया है उसे निभानेके लिए कारावास भोगने, सरकार चाहे तो कठोर कारावास भोगने, निर्वासित होने, संक्षेपमें, चाहे जो सहन करने के लिए बेधड़क तैयार रहना है। इस समय हम रण-संग्रामके मध्यमें है। इसलिए पीछे मुड़कर देखनेका समय नहीं है। हमारी लड़ाई न्यायकी है, इसलिए स्वयं जगतका महान कर्ता हमारे पक्षमें है। अबतक की लड़ाईमें सरकारने नीचे उतरने में कोई कसर नहीं रखी है। यह विजय हमारी अबतक की दृढ़ताका परिणाम है। और भी क्या नहीं किया जा सकता, यह हम कूत नहीं

[] सभाके समाप्त हो जानेपर गांधीजीने एक भेट दी थी जिसकी यह संक्षिप्त रिपोर्ट है।

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