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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सकते। प्रिटोरियाने जो कुछ किया है, उसके लिए उसे हम हार्दिक बधाई देते हैं, और खुदासे इबादत करते हैं कि वह सदा जेल जानेवालोंकी पीठपर रहे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३-८-१९०७

१०२. नेटालके भारतीयोंमें जागृति

हम बार-बार नेटालके भारतीयोंसे जागते रहने के लिए कहते आये है। हमें खुशीके साथ कहना चाहिए कि वे अब सोते हुए नहीं जान पड़ते। वे ट्रान्सवालके भारतीयोंको तन मदद देनेकी कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेसके अग्रगण्य लोगोंमें से श्री दाउद मुहम्मद, पारसी रुस्तमजी, दादा उस्मान, इस्माइल गोरा, डॉ० नानजी, डॉ० हीरा माणिक, वगैरह डर्बनमें चन्देके लिए हमेशा कोशिश करते हैं। श्री एम० सी० ऑगलियाने अब्दुल कादिर, पीरन मुहम्मद, तैयब मूसाके साथ जाकर मैरित्सबर्गमें दो ही दिनमें चन्देकी बहुत बड़ी रकम इकट्ठा की है। इससे सबक लेकर नेटालके सब भारतीयोंको अपने-अपने विभागमें शक्तिभर चन्दा इकट्ठा करना चाहिए। कांग्रेसके नेता जब यह कोशिश कर रहे हैं तब साधारण वर्गके लोग भी पीछे नहीं हैं; रेलवेसे जोहानिसबर्ग जानेवाले मुसाफिरोंका पता रखनेवाले तीन स्वयंसेवकों के अलावा सर्वश्री हसेन दाउद (श्री हम्मदके लड़के), यू० एम० शेलत, छबीलदास बी० मेहता, रुकनुद्दीन तथा डी के० गुप्तेने भी अपना सारा समय कांग्रेसको अर्पित किया है। इधर कुछ दिनोंसे दिन-भर यहाँसे प्रिटोरियाको तार भेजे जाते रहे हैं। और वहाँके तारोंकी आतुरतासे प्रतीक्षा की जाती है। नेटालके भारतीयोंकी इस हमदर्दीसे ट्रान्सवालके भारतीयोंको समझना चाहिए कि यहाँ की लड़ाईमें वे अकेले नहीं हैं, बाहरके भारतीय भी तन-मन-धनसे, निर्भयतापूर्वक उनके साथ खड़े हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३-८-१९०७