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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
(ख) कोई भी एशियाई जो इस उपनिवेशका निवासी हो और ३१ मई १९०२ को प्रत्यक्षत: यहाँ रहा हो;
(ग) कोई भी एशियाई जो ३१ मई १९०२के बाद इस उपनिवेशमें उत्पन्न हुआ हो, किन्तु इस उपनिवेशमें १९०४ के श्रम आयात अध्यादेशके अन्तर्गत लाये हुए किसी मजदूरका बच्चा न हो;
(घ) कोई भी एशियाई, जिसने ११ अक्तूबर १८९९ से पूर्व १८८६ में संशोधित रूपमें १८८५ के कानूनके अनुसार ३ पौंडकी रकम दे दी हो।

व्यवस्था की जाती है कि ऐसा एशियाई उस तारीखसे पूर्व, जिसे उपनिवेशसचिव निश्चित करेगा, नियमके द्वारा, विहित फार्मके अनुसार अधिवासी प्रमाणपत्र ले लेगा और यह व्यवस्था भी की जाती है कि १६ वर्षकी आयु तक के बच्चे इस धाराके अमलसे मुक्त होंगे; १६ वर्षके होनेपर वे अधिवासी-प्रमाणपत्र लेनेके लिए बाध्य होंगे जिससे वे पहले उल्लिखित छूटकी मांग कर सकें।

३. एशियाई शब्दका अर्थ होगा ऐसा कोई भी पुरुष जैसा कि १८८५ के कानून ३ की धारा १ में बताया गया है; किन्तु वह उपनिवेशमें १९०४ के श्रम आयात अध्यादेशके अन्तर्गत लाया हुआ व्यक्ति न हो।।
४. संसदके प्रस्ताव,१२ अगस्त १८८६ की धारा १४१९ और १० मई १८९० की धारा १२८ द्वारा संशोधित रूपमें १८८५ के कानून ३ की धारा २ का (ग) उपखण्ड और एशियाई कानून संशोधन अधिनियम इसके द्वारा रद किये जाते है।
५. उपखण्ड १५ में जोड़ा जाये। उपखण्डके अन्तर्गत अधिवासी प्रमाणपत्रके फार्म और उसके लिए प्रार्थनापत्र देने की विधि एवं वह समय जिसके भीतर १६ वर्षसे कम आयुका एशियाई बच्चा १६ वर्षका होनेपर अधिवासी प्रमाणपत्रके लिए प्रार्थनापत्र देगा, भी बताये जायें।
[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-८-१९०७

१. गांधीजीने गुजराती स्तम्भों में प्रस्तावको संक्षिप्त रूपमें दिया था और उसके मुख्य मुद्दे ये बताये थे:

यह निवेदन है कि प्रवासी-प्रतिबन्धक विधेयकसे, जिसमें संशोधन किया जा सकता है, समस्त कठिनाई निम्न प्रकार दूर की जा सकती है:

(१) नया अधिनियम वापस ले लिया जाये।
(२) निषिद्ध प्रवासी" शब्दोंमें निम्न वर्गोंके लोग सम्मिलित न होंगे, जिनके पास वैध परवाने

हों और जो उनको बताये गये समयके भीतर बदलवा कर नये ले लें।

(३) कोई एशियाई, जिसके पास कोई परवाना नहीं है, किन्तु जिसने ११ अक्तूबर १८९९ से पूर्व

डच-सरकारको ३ पौंडकी रकम दे दी थी, बशर्ते कि ऐसा एशियाई उपनिवेश-सचिव द्वारा नियत की जानेवाली तारीखसे पहले नियम द्वारा निश्चित फार्मके अनुसार अधिवासी प्रमाणपत्र ले ले।

(४) अपने परवानोंको बदलवानेकी यह बाध्यता सोलह वर्ष तक की आयुके बच्चोंपर लागू न हो।

वे जब सोलह वर्षके हो जाये तब अधिवासी प्रमाणपत्र ले सकते हैं, ऐसा नियम कर दिया जाये।

(५) “ एशियाई" शब्दमें सब एशियाइयोंका समावेश हो।
(६) पौडकी अदायगीसे सम्बन्धित उपधारा रद कर दी जाये।
(७) सरकारको अधिवासी प्रमाणपत्रोंके फार्म और उनके लिए प्रार्थनापत्र देनेकी विधि निश्चित करनेका अधिकार हो।