सकती। जिन राहतोंको पानेके लिए वे लड़ रहे हैं, उन्हें पानसे पहले उन्हें अपने आपको उनके योग्य साबित करके दिखलाना होगा।
इंडियन ओपिनियन, १०-८-१९०७
११०. अब क्या होगा?
सार्वजनिक सभा समाप्त हो गई। प्रिटोरियाने बहादुरी दिखाई। अगस्तके दिन बीत चले, लेकिन अभी तक किसीको पकड़ा नहीं गया। अब क्या होगा? यह प्रश्न बहुत जगह किया जा रहा है। ऐसा दिखाई देता है कि प्रिटोरियाके नोटिसके आधारपर सरकारने कोई कदम उठानेका इरादा नहीं किया था। सरकारका यह इरादा जान पड़ता है कि ट्रान्सवालके सारे भारतीयोंको गुलामीका पट्टा लेनेका मौका मिल जानेके बाद ही जेल भेजना शुरू किया जाये। अब पीटर्सबर्गमें बहिष्कार सफल होना सम्भव है। इसलिए यदि दफ्तर कहीं खुल सकता है तो वह जोहानिसबर्गमें ही, और वहाँ नोटिसकी अवधि पूरी हो जानेके बाद गिरफ्तारियाँ शुरू होंगी। जो खबरें मिली है उनसे मालूम होता है कि सरकार सबसे पहले नेताओंको गिरफ्तार करेगी। यह निर्णय ठीक माना जायेगा। यदि उसे यह सन्देह हो कि केवल नेताओंके बहकानेसे लोग नये कानूनका विरोध कर रहे हैं, तो नेताओंकी गिरफ्तारीके बाद भी यदि समाज दृढ़ रहे तो वह सन्देह दूर हो जायेगा।
इंडियन ओपिनियन, १०-८-१९०७
[१] देखिए “ भाषण : प्रिटोरियामें", पृष्ठ १३९-४१।
- ↑ १.