१३१. मोरक्कोमें उपद्रव
मोरक्कोमें अभी होली सुलग रही है। रसूलीने आतंक फैला रखा है। तेंजियरमें लूटपाट मची है। बहुत लोग कत्ल हो गये हैं। दो सौ औरतें गिरफ्तार की गई है। बलात्कार भी हो रहा है। यहूदियोंको ज्यादा नुकसान पहुंचा है। कासालेकामें अन्धेर हो रहा है। ऐसे तार रायटरके आये हैं। रायटरने यह भी कहा है कि मोरक्कोके सुलतानका कहना है कि यदि यूरोपीय सेनाएँ आ जायेंगी तो जितनी कौमें उनके काबूमें हैं वे भी नहीं रहेंगी। इसमें कितना सच है यह हम नहीं जान सकते। कहा जाता है कि रसूलीने सर हेनरी मैक्लीनको छोड़ दिया है। रसूलीके बारेमें एक जर्मन लेखकका कहना है कि वह तेजस्वी और बहादुर योद्धा है। बचपनसे उसे मवेशी लटने की आदत थी। कुछ समयके लिए वह तजियरका सूबंदार भी नियुक्त किया गया था। किन्तु अभी कुछ वर्षोंसे लटेरे-डकैतका काम कर रहा है। उसने बहत-से गोरोंको पकड़ रखा है। वह मौतको साथ लेकर फिरता है और उसका कहना है कि उसकी मृत्यु किसीकी चोटसे नहीं होनी चाहिए। रसूलीको मारनेका बहुत लोगोंने प्रयत्न किया है, किन्तु वह इतना सतर्क और फुर्तीला है कि सबके हाथसे बच जाता है। हमें आशा है कि हम आगे चलकर बतायेंगे कि मोरक्कोमें कैसा अंधेर हो रहा है। इससे हमारे पाठकोंको वहाँकी स्थिति और भी अच्छी तरह मालूम हो सकेगी।
इंडियन ओपिनियन, १७-८-१९०७
१३२. हेगर साहबका नया कदम
हेगर साहब भारतीयोंके पीछे पड़े हुए हैं। एक बात समाप्त हुई तो दूसरी खड़ी ही है। अब वे महाशय उन गरीब भारतीयोंके पेटपर लात मारना चाहते हैं जो इंजनके कामसे रोटी कमाते हैं। वे संसदमें ऐसा विधेयक पेश करना चाहते हैं जिससे नेटालमें कोई भी भारतीय किसी गोरे अधिकारीकी देखरेखके बिना इंजनका काम कर ही न सके। यदि यह कानून अमलमें आया तो कुछ भारतीयोंकी रोजी जाना सम्भव है। किन्तु आशा तो की जा सकती है कि यह विधेयक मंजूर नहीं होगा।
इंडियन ओपिनियन, १७-८-१९०७