१३४. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
पीटर्सबर्गकी बहार
पीटर्सबर्गकी बहादुरीकी सब जगह प्रशंसा हो रही है। अब धावा पॉचेफ्स्ट्रम और क्लार्क्सडॉर्पपर है। ये दोनों नगर पीटर्सबर्गसे आगे बढ़ जायेंगे सो नहीं, किन्तु पीटर्सबर्गसे कम तो किसीको करना ही नहीं है। पीटर्सवर्गके जोशसे अखबारों और लोगोंमें खलबली मची हुई है। भारतीयोंका उत्साह बढ़ गया है। पीटर्सबर्ग हमारी सफलताको दो कदम आगे ले गया है। प्रिटोरियाके समान पीटर्सबर्गमें भी स्वयंसेवक बने थे। उनके नाम ये हैं:
श्री हंसराज, श्री ए० गोकल, श्री डी० एच० जुमा, श्री तैयव एन० मुहम्मद, श्री कासिम सुलेमान, श्री ए० देसाई, श्री गुलाब तथा मुख्य स्वयंसेवक श्री हासिम मुहम्मद काला। ये बहादुर बधाईके पात्र हैं।
‘कलेवाके बिना’
जोश भरे तार बहुत-से भारतीयोंको भेजे गये थे। उनमें से एकने तुरन्त जवाब दिया है कि पंजीयन कार्यालय पीटर्सबर्गसे कलेवा बिना जायेगा; यानी उस कार्यालयका भक्ष्य भारतीय हैं, और भारतीय पंजीयन न करायेंगे तो कार्यालय भूखा ही कहलायेगा। उसका उपवास टूट ही नहीं पाया, तो वह बिना कलेवेके गया इसके अलावा क्या माना जायेगा? जेलके अन्दर पंजीयनके लिए जो अर्जी दी गई है, उसे गिनतीमें नहीं लिया जा सकता।
पीटर्सबर्गको तार
संघ और हमीदिया अंजुमनने बधाईका तार भेजा है। अंजुमनने बधाई देते हुए कहा है : "अगर हम आखिर तक जोर कायम रखेंगे तो खुदा हमें फतह देगा।"
पॉचेफ्स्ट्रम और क्लासडॉर्प
कार्यालय इन दोनों शहरोंमें इस सप्ताहके अन्ततक पहुँच जायेगा। इससे हमीदिया अंजुमनने निम्नलिखित तार भेजा है:
आशा है कि अनुमतिपत्र कार्यालय रूपी महामारीसे आप मुक्त रहेंगे। उसके स्पर्शसे हमारे समाजको धब्बा लगता है और हमारी धर्म-भावनाको चोट पहुंचती है।
इन दोनों जगहोंसे तारपर-तार आये हैं कि दोनों स्थान बहुत दृढ़ है। नया पंजीयनपत्र लेनेवाला कोई नहीं है। दोनों जगहोंके लोगोंका कहना है कि "हमें जोहानिसबर्गसे किसीकी मदद नहीं चाहिए। हम सब एम्पायर नाटकघरमें ली हुई शपथपर दृढ़ है।" हम चाहते हैं कि सारे भारतीय ऐसा जोश अन्ततक रखें।
[१] देखिए "तार: पीटर्सवर्ग के भारतीयोंको", पृष्ठ १६२।
[२] देखिए "तार: पॉचेफ्स्ट्रमके भारतीयोंको", पृष्ठ १६२।