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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/२०३

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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

लड़ाईका असर

कह सकते हैं, आज तक की लड़ाईका असर अच्छा हुआ है। रैड डेली मेल' में प्रकाशित हुआ है कि भारतीयोंपर गोरोंका कर्ज है। यदि भारतीय जेल गये अथवा उन्हें परवाना नहीं मिला तो वे वह रकम नहीं चुकायेंगे। 'मेल' वाला यह उड़ती हुई बात लिख कर कहता है कि भारतीय नेताओंके विचारोंका कुछ पता नहीं है। इस खबरसे गोरे व्यापारी घबड़ाये जान पड़ते हैं। यह असर अच्छा मानना है। अब कोई भारतीयोंका मजाक नहीं उड़ाता बल्कि लोग मानते हैं कि मामला नाजुक है। 'मेल' वाले ने यह भी लिखा है कि भारतीय समाजको विलायतके कई बड़े-बड़े लोगोंकी मदद है। श्री रिच काम कर रहे हैं और लोकसभाके सौ सदस्योंने कहा है कि यदि भारतीयोंके साथ न्याय नहीं किया गया तो ट्रान्सवालको जो ५०,००,००० पौंडकी सहायता दी जानेवाली है उसका विरोध किया जायेगा।

ईसप मियाँका जवाब

उपर्युक्त लेखका श्री ईसप मियाँने निम्नानुसार जवाब दिया है:

‘स्टार’ की टीका

'स्टार' समाचारपत्रने 'डेली मेल' के लेखपर तुरन्त ही एक लम्बी टिप्पणी प्रकाशित की है। उसका सारांश निम्नानुसार है:

ब्रिटिश भारतीय संघका अनाक्रामक प्रतिरोध अभीतक बहत सफल रहा है। भारतीय नेता मानते है कि कानूनपर उसकी अन्तिम सीमा तक अमल नहीं किया जायेगा यानी जिन्होंने अनिवार्य पंजीयन कानूनके अन्तर्गत पंजीयन न करवाया हो, उन्हें कैद या निर्वासित नहीं किया जायेगा। प्रलोभनमें आकर पंजीयन करवाने वाले भारतीयोंकी संख्या राजधानीमें ७० है। पीटर्सबर्ग और जूटपान्सबर्गके भारतीयोंने पंजीकृत होनेसे इनकार कर दिया है। पॉचेफ्स्ट्रम और क्लार्क्सडॉर्पके लोगोंने भी इसी तरहका निर्णय जाहिर किया है। जोहानिसबर्गम बहत भारतीय हैं। उनम कुछ धनवान हैं। उन सभीन कानुनका विरोध करनेका निर्णय किया है। सरकार जोहानिसबर्गमें कार्यालय खोलेगी या नहीं, इस विषयमें भारतीय अनेक अनुमान लगा रहे हैं। सरकार धीरे-धीरे चल रही है। श्री चैमनेकी रिपोर्ट पहुँचने पर निश्चित कदम उठाये जायेंगे। जोहानिसबर्गमें सरकार कार्यालय न खोले, ऐसे लक्षण तो अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं।

देश छोड़नेका समय आ जाये तो उसके लिए भी भारतीय व्यापारी धीरे-धीरे तैयारी करने लगे हैं। कामा और कम्पनी ('स्टार' द्वारा भूलसे लिखे अनुसार चैमने और कम्पनी) के बड़े साझेदार एक पारसी सज्जन श्री कामासे 'स्टार' का प्रतिनिधि मिला था। उस समय बताया गया कि उक्त कम्पनीने अपने विदेशोंके आर्डर रद कर दिये है, और स्टाक कम करना शुरू कर दिया है, जिससे जब भी उसे ठिकाने लगाना हो, आसानीसे लगाया जा सके। और यही बहुतसी जगहोंमें हो रहा है। एक सहयोगीने प्रकाशित किया है कि वे कर्जकी रकम चुकाने से इनकार करते हैं। इस बातका भारतीय व्यापारियोंने पूरी जिम्मेदारीसे खण्डन किया है। एक व्यापारीने आज कुल ४३७ पौंडका

[] यहाँ रैंड डेली मेलको प्रेषित पत्र छपा था, देखिए पृष्ठ १६३।

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