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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बिल चुकाया है। दूसरे व्यापारीने आज सवेरे ७०० पौंड दिये। कर्जकी रकम न लौटानकी सलाह संघने नहीं दी। अखबारमें इस तरहकी गलत खबर छपने से उन्हें आश्चर्य हुआ था।

अनाक्रामक प्रतिरोधके इस आन्दोलनके नेता प्रसिद्ध भारतीय बैरिस्टर श्री मो० क० गांधी हैं। जान पड़ता है, सचमुच ही उन्होंने अपनी सेनाको अच्छी तालीम दी है। सामान्यतः भारतीय अन्ततक उनके पीछे चलने को तैयार हो गये हैं। इस सबसे सिद्ध होता है कि भारतीयोंने जो शक्ति दिखाई है उसे फल लगने लगा है।

फ्रीडडॉर्प अध्यादेश

यह अध्यादेश अब ठिकाने लग गया है। पहला अध्यादेश रद हो गया है और नया पास किया गया है। उसके अनुसार भारतीयोंको चार वर्ष तक नहीं निकाला जा सकता और चार वर्षके बाद भी उन्हें जो नुकसान होगा उसका हर्जाना दिया जायेगा। इसे नुकसानके लिए चार वर्षका नोटिस कहना होगा। इसमें व्यापार और उधारीके नुकसानका तो समावेश नहीं है, किन्तु बँधे हुए मकानोंकी कीमतका समावेश है। अतः अब मानना चाहिए कि फ्रीडडॉर्पके भारतीय व्यापारियोंको चार वर्षकी अवधि मिली है। इस जीतका श्रेय श्री रिचको दिया जाना चाहिए। उन्होंने विलायतमें बहुत परिश्रम किया। उसीका यह परिणाम है। केवल यही एक उपधारा रह गई है कि चार वर्ष बाद नौकर वर्गके सिवा और कोई काले लोग नहीं रह सकेंगे। लेकिन इसे रद करना सम्भव नहीं है। श्री स्मट्सका उत्तर देख लिया जाये। लेकिन चार वर्ष लम्बे होते है "जेल-महलमें जायें हिन्दके हीरे"। फिर भारतीय फोडडॉर्प में भी रह जायें तो इसे दक्षिणामें मोतीका थाल समझ लेना चाहिए।

एम० एस० कुवाडिया

स्वदेशसे खबर आई है कि संघके कोषाध्यक्ष श्री एम० एस० कुवाड़ियाकी पत्नीका स्वर्गवास हो गया है। यह खबर मैं शोकके साथ प्रकाशित करता हूँ और श्री कुवाड़ियाके प्रति सहानुभूति व्यक्त करता हूँ।

मुहम्मद ईसप शहरी

श्री मुहम्मद ईसप, जो हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके सदस्य हैं, इस मासके अन्तमें हज करनेके लिए मक्का शरीफ जानेवाले हैं। उनकी मुराद पूरी हो यह मेरी कामना है।

हमीदियाकी बैठक

हमीदिया इस्लामिया अंजुमन नये कानूनके सम्बन्धमें पूरी ताकतसे काम कर रही है। हर हफ्ते बैठक बुलाई जाती है, जिसमें सभी कौमोंके भारतीय भाग लेते हैं। पिछले रविवारकी बैठकके अध्यक्ष इमाम अब्दुल कादिर थे। श्री गांधीने सारी हकीकत समझाई। उनके बाद ईसप मियाँ बोले। उन्होंने कहा कि इस मौकेपर श्री गांधी जेल जायें या निर्वासित हों फिर भी लोगोंको पूरी हिम्मतके साथ रहना चाहिए। धनकी भी जरूरत होगी। अत: जिनके पास धन हो उन्हें धन देना चाहिए। अन्त में मौलवी अहमद मुख्त्यार तथा महाराज रामसुन्दर पण्डितने

[१] प्रतियोगितामें भेजी गई एक कविताका उद्धरण: "जेल-महलमें जायें हिन्दके हीरे"। देखिए "नये कानूनसे सम्बन्धित पुरस्कृत कविता", पृष्ठ ४७-४८।

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